भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके परिवार की व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) घोटाले में संलिप्तता का आरोप लगाने वाले मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा को जमानत मिल गई है। मानहानि परिवाद में शुक्रवार को फैसला आया। विशेष अतिरिक्त जिला सत्र न्यायाधीश काशीनाथ सिंह की अदालत ने मिश्रा को दो साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। बाद में मिश्रा को 50 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत मिल गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
शिवराज के अधिवक्ता आनंद तिवारी ने यहां न्यायालय के बाहर संवाददाताओं को बताया कि मिश्रा ने आरोप लगाया था कि व्यापमं से परिवहन आरक्षक की भर्ती में गोंदिया के लोगों का चयन हुआ है, मुख्यमंत्री की ससुराल गोंदिया है। यह आरोप पूरी तरह झूठा पाया गया। परिवहन आरक्षकों की भर्ती सीधी नहीं होती है, इसके साथ 312 आरक्षकों के दस्तावेज न्यायालय ने तलब किए, जिसमें एक भी चयनित उम्मीदवार गोंदिया का नहीं पाया गया।’’ तिवारी के अनुसार, मिश्रा के आरोपों को तथ्यहीन पाकर न्यायाधीश काशीनाथ सिंह ने उन पर दो साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया। इस फैसले पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा कि सत्य की जीत हुई है। कांग्रेस लगातार झूठे आरोप लगाती रहती है, और उसे हर बार मुंह की खाना पड़ती है।
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