रांची। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने गुरुवार को कहा कि वह कानून विशेषज्ञों की राय ले रहे हैं और सर्वोच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं, क्योंकि बिहार में सरकार के गठन के लिए नीतीश कुमार को आमंत्रित करने में एस.आर.बोम्मई दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया गया है। लालू प्रसाद ने गुरुवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘एस.आर.बोम्मई दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से कहता है कि सरकार के गठन के लिए सबसे बड़ी पार्टी को बुलाया जाना चाहिए। बहुमत सदन के पटल पर साबित करना होता है। राजद को बुलाया जाना चाहिए था। हमने सर्वोच्च न्यायालय के वकील राम जेठमलानी से राय मांगी है।’’ ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने कहा, ‘‘राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी को बुधवार को पटना बुलाए जाने के पीछे हमें षड्यंत्र होने का शक है। राजभवन ने हमें आज (गुरुवार) सुबह 11 बजे का वक्त दिया था, क्योंकि अफवाह थी कि शपथ ग्रहण समारोह शाम पांच बजे होगा। लेकिन शपथ ग्रहण समारोह 10 बजे ही निर्धारित किया गया था।’’ लालू प्रसाद ने कहा, ‘‘हमने सरकार बनाने का दावा करने के लिए वक्त मांगा था। जब हमारे नेताओं ने राज्यपाल से बुधवार रात मुलाकात की, तो उन्होंने हमसे कहा कि शपथ ग्रहण समारोह का पत्र नीतीश कुमार को दिया जा चुका है। इस मामले में एस.आर.बोम्मई के दिशा-निर्देशों की अनदेखी की गई है।’’
साल 1994 में एस.आर.बोम्मई बनाम भारत संघ के मामले में संवैधानिक जरूरतों के मुताबिक, राज्य सरकार को बर्खास्त करने की केंद्र सरकार की शक्ति छीन ली गई थी। मामले में फैसला दिया गया था कि राज्य सरकार के आंतरिक मामलों से निपटने का एकमात्र समाधान सत्ता में मौजूद पार्टी द्वारा विश्वास मत के माध्यम से होगा। लालू प्रसाद ने आरोप लगाया है कि समस्त राजनीतिक घटनाक्रम की पटकथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा जनता दल (युनाइटेड) द्वारा पहले ही लिख ली गई थी।
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