जम्मू। आतंकी वित्त पोषण मामले में फंसे अलगाववादी हुर्रियत समूह के वरिष्ठ नेता सैयद अली शाह गिलानी ने सोमवार को तहरीक-ए-हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी जगह पर वरिष्ठ हुर्रियत नेता मुहम्मद अशरफ सेहराई को संगठन का नया अध्यक्ष बनाया गया है। गिलानी ने वर्ष 2001 में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना की थी और तभी से वह इसके अध्यक्ष थे। गिलानी अध्यक्ष पद पर 18 साल तक बने रहे। आशंका जताई जा रही है कि आतंकी वित्त पोषण मामले के घेरे में आए गिलानी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी की कार्रवाई के बाद मजबूर होकर यह कदम उठाया है। एनआईए ने पिछले दिनों जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद से जुड़ी आतंकवाद फंडिंग जांच के मामले में पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटों से पूछताछ की थी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एनआईए के निशाने पर गिलानी और उनके परिवार की 150 करोड़ रुपये की 14 प्रॉपर्टी हैं। गिलानी के बड़े पुत्र नईम पेशे से सर्जन हैं और छोटे बेटे नसीम जम्मू-कश्मीर सरकार के कर्मचारी थे। एनआईए ने गत वर्ष 30 मई को मामला दर्ज करते हुए आतंकवादी संगठनों के साथ अलगावादी नेताओं की मिलीभगत का आरोप लगाया था। आपको बता दें कि सैय्यद अली शाह गिलानी भारत के एक पाकिस्तानपरस्त इस्लामिक अलगाववादी व्यक्तित्व है जिनका कश्मीरी आतंकवादिता को बढावा देने में खुला हाथ है। वे कश्मीर के पाकिस्तान में विलय करने के समर्थक हैं। गिलानी भारत के जम्मू कश्मीर छेत्र के प्रमुख अलगावादी नेता हैं।
वह पहले जमात ए इस्लामी कश्मीर के एक सदस्य थे, लेकिन बाद में इन्होने तहरीक ए हुर्रियत के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की थी। गीलानी का जन्म 29 सितंबर 1929 में जम्मू कश्मीर के सोपोर जनपद के दुरु गांव में हुआ था। इन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सोपोर में प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए वह लाहौर गये जहां इन्होने कुरान और धर्मशास्त्र सीखा। कश्मीर लौट कर यह अध्यापक बन गये और इसि दौरान यह सोपोर में जमात ए इस्लामी के प्रमुख कार्यकर्ता भी बन गये। गीलानी ने अपना राजनीतिक जीवन 1950 में शुरु किया और अब तक उन्होंने जेल में एक दशक से भी अधिक काल व्यतीत किया है।
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