शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं के लिए पर्याप्त धनराशि उपलब्ध करवाने का आग्रह किया है, ताकि इन योजनाओं का समयबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम, त्वरित सिंचाई कार्यक्रम (जो अब प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का हिस्सा है) तथा राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम जैसी कुछ केन्द्रीय प्रायोजित योजनाओं के लिए धन आवंटन में भारी कमी की गई है, जिसके परिणामस्वरूप इस योजना के अंतर्गत जो कार्य चले हुए है उन्हें पूरा करने में कठिनाई आ रही है। मुख्यमंत्री राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में नीति आयोग की शासकीय परिषद की तृतीय बैठक में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम के अंतर्गत 105 करोड़ रुपये तथा बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 125 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति राशि केन्द्रीय सरकार के पास लंबित पड़ी है। उन्होंने कहा कि राज्य को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम के तहत वर्ष 2013-14 में प्राप्त निधि से गत तीन वर्षों के दौरान 148 करोड़ रुपये की कम राशि प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत जहां 2013-14 में 77.40 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई थी, वहीं वर्ष 2016-17 में केवल 52.76 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है। मुख्यमंत्री ने पर्वतीय राज्यों में कृषि क्षेत्र पर अधिक निवेश की आवश्यकता के दृष्टिगत राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत आवंटन में वृद्धि का आग्रह किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश जीएसटी कानून पास करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं और जीएसटी कार्यशालाओं तथा सेमीनारों का आयोजन किया जा रहा है तथा हेल्प डेस्क की स्थापना की जा रही है, जो व्यवसासियों की समस्याओं का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा।
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