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शून्य लागत प्राकृतिक खेती किसानों के लिये सर्वश्रेष्ठ विकल्प: राज्यपाल

Himachal Pradesh Governor Acharya Debavrat appealed to adopt zero cost natural farming - Shimla News in Hindi

शिमला। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसान समुदाय से अपनी आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए खेतों में सरल एवं लाभदायक तकनीक ‘शून्य लागत प्राकृतिक खेती’ अपनाने की अपील की।

राज्यपाल आज हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में एकीकृत हिमालयन अध्ययन संस्थान द्वारा आयोजित जैविक किसान मण्डी कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि मौजूदा परिपेक्ष में रासायनिक कृषि तथा जैविक कृषि की पुरानी प्रथा व्यवहार्य नहीं है। जहां तक रासायनिक खेती का सम्बन्ध है, इसके उत्पाद नुकसानदायी एवं ज़हरीले होने के साथ-साथ काफी महंगे भी हैं। इसी प्रकार, जैविक कृषि में उत्पादन लागत काफी अधिक है और यह प्रणाली मिट्टी से आवश्यक पोषक तत्वों को सोख लेती है। इसलिए, शून्य लागत कृषि सर्वश्रेष्ठ विकल्प है।

उन्होंने कहा कि आजकल लगभग प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहा है और बड़ी मात्रा में दवाईयों का प्रयोग कर रहा है। उन्होंने कहा कि यदि हम देश की प्राचीन कृषि व्यवस्था को अपनाते और विकसित करते हैं तो इस प्रकार की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी।

राज्यपाल ने कहा कि प्रथम तीन वर्षों के दौरान जैविक कृषि का उत्पादन कम होने के कारण गरीब किसानों को इस नुकसान को सहन करना मुश्किल था। उन्होंने कहा कि आजकल जैविक उत्पादों के नाम पर बड़े-बड़े कारखाने स्थापित किए गए हैं और महंगे कृषि उत्पादों को तैयार किया जा रहा है, जिसके चलते किसान प्रत्येक फसल के लिये कर्ज ले रहे हैं।

आचार्य देवव्रत ने कहा कि ‘हम रासायनिक कृषि के चलन से भोजन के साथ धीमा ज़हर ग्रहण कर रहे हैं। हमने जल, वायु तथा प्रत्येक वस्तु को ज़हरीला बना दिया है।’ उन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार मिट्टी में कार्बन की मात्रा 0.3 स्तर तक पहुंच चुकी है और यदि यह स्थिति जारी रहती है, हम भावी पीढ़ी को केवल बंजर भूमि ही दे पाएंगे।

राज्यपाल ने कहा कि शून्य लागत प्राकृतिक कृषि किसानों को बचाने तथा उनकी आय को दोगुना करने का एक मात्र उपाय है। इस प्रणाली के अन्तर्गत किसानों को एक पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ता, बल्कि बंजर भूमि को फिर से जीवंत बनाना, जल का कम से कम उपयोग, स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित उत्पादन व सुरक्षित पर्यावरण जैसे अनेक फायदे हैं। उन्होंने किसानों से प्राकृतिक कृषि अपनाने के लिए भारतीय नस्ल की गाय पालने का आग्रह किया। उन्होंने किसानों को अपनी आय बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील की।

इसके पश्चात, राज्यपाल ने एकीकृत हिमालयन अध्ययन संस्थान परिसर में जैविक किसान मण्डी का उद्घाटन भी किया।

हि.प्र. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजिन्द्र सिंह चौहान ने इस अवसर पर राज्यपाल का स्वागत करते हुए कहा कि हमने लगभग 20 प्रतिशत पीने का पानी तथा 26 प्रतिशत जीव व वनस्पति को खो दिया है और यह सब गलत तरीकों को अपनाने के कारण हुआ है। उन्होंने कहा कि हमने विकास को पश्चिमी देशों के साथ जोड़ा है, जो इन सभी समस्याओं का कारण है। उन्होंने राज्यपाल का प्राकृतिक कृषि तथा जल संरक्षण से जुड़े पावन मिशन की शुरूआत के लिए धन्यवाद किया।

राष्ट्रीय तकनीकी अध्यापक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान चण्डीगढ़ के ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख प्रो. उपेन्द्र नाथ रॉय ने जैविक किसान मण्डी के बारे में जानकारी दी और कहा कि इन मण्डियों के माध्यम से किसानों तथा उपभोक्ताओं के बीच सीधा सम्पर्क बनाने के प्रयास किए गए हैं। उन्होंने खाद्यान प्रशिक्षण प्रयोगशाला चण्डीगढ़ के आधुनिकीकरण का सुझाव दिया ताकि रासायनिक पदार्थो के उपयोग को रोका जा सके। उन्होंने किसानों तथा आम जनता के कल्याण के लिए संस्थान की पहल पर भी प्रकाश डाला।

एकीकृत हिमालयन अध्ययन संस्थान के निदेशक प्रो. अरविन्द कुमार भट्ट ने राज्यपाल का स्वागत किया तथा कार्यक्रम की जानकारी दी।

उत्तराखण्ड के जाने-माने पर्यावरणविद् जगत सिंह जंगली ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखें।

पंजाब, उत्तराखण्ड तथा हिमाचल के किसानों ने प्राकृतिक खेती के बारे में अपने अनुभव सांझा किए।

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Web Title-Himachal Pradesh Governor Acharya Debavrat appealed to adopt zero cost natural farming
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