शिमला। हिमाचल
प्रदेश की आर्थिकी में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य के सकल
घरेलू उत्पाद में कृषि व इससे जुड़े क्षेत्रों का लगभग 15 प्रतिशत योगदान
है। राज्य में 5.42 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर कृषि की जा रही है। प्रदेश
सरकार द्वारा राज्य में किसानों की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिए अनेक
योजनाएं व कार्यक्रम आरम्भ किए गए हैं ताकि राज्य में कृषि उत्पादों के
उत्पादन में बढ़ोतरी हो। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राज्य की जलवायु बैमौसमी फसलों के लिए बहुत उपयोगी
है तथा सरकार द्वारा बेमौसमी सब्जियों की खेती को विशेष तौर पर बढ़ावा दिया
जा रहा है, जिसके सार्थक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा
वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान कृषि को बढ़ावा देने के लिए 484 करोड़ रुपये के
बजट का प्रावधान किया गया है। प्रदेश में कृषि को बढ़ावा देने के लिए सरकार
द्वारा अनेक योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं।
प्रदेश में
कृषि विविधिकरण को बढ़ावा देने के लिए जापान इंटरनेशनल एजेंसी (जायका) के
सहयोग से 321 करोड़ रुपये की फसल विविधिकरण प्रोत्साहन योजना चलाई जा रही
है। यह योजना राज्य के पांच जिलों बिलासपुर, हमीरपुर, मण्डी, कांगड़ा व ऊना
जिले में सात वर्ष के लिए मार्च, 2018 तक कार्यान्वित की जा रही है। योजना
के अन्तर्गत सिंचाई सुविधाएं खेतों तक, सड़क मार्ग, किसानों को जैविक खेती
के लिए प्रोत्साहित करने के अतिरिक्त सब्जी उत्पादन व विपणन के लिए तकनीकी
जानकारी उपलब्ध करवाना योजना का मुख्य उद्देश्य है। योजना के अन्तर्गत 210
लघु सिंचाई योजनाओं, 147 सम्पर्क मार्गों, 37 एकत्रिकरण केन्द्रों का
निर्माण किया जाएगा। गत वर्ष योजना पर 80 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जबकि
वर्ष 2017-18 में 50 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा गया हैं
राज्य
में पॉलीहाउस व सूक्ष्म सिंचाई योजना को बढ़ावा देने के लिए व किसानों की
आर्थिकी सुदृढ़ करने के लिए डॉ. वाई.एस. परमार, किसान स्वरोजगार योजना आरम्भ
की गई है। 111.19 करोड़ रुपये की इस योजना के तहत वर्ष 2014-15 से 2017-18
तक 47 हजार पॉलीहाउस, 2150 स्प्रिंकलर/ ड्रिप इकाइयों का लक्ष्य रखा गया
है। इनके निर्माण पर किसानों को 85 प्रतिशत उपदान प्रदान किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त लघु उठाऊ सिंचाई योजना व पम्पिंग मशीनरी खरीदने के लिए 50
प्रतिशत का उपदान प्रदान किया जा रहा है। योजना के अन्तर्गत वर्तमान वित्त
वर्ष के दौरान 15 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
योजना के अन्तर्गत अब तक 2735 पॉलीहाउस बनाए गए हैं।
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