नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 में यूं तो हर एक सीट की अपनी विशेषता और कुछ अनछुए पहलू हैं लेकिन एक सीट ऐसी भी है जिसका पूरे हिमाचल प्रदेश में अपना ही रुतबा और अपनी ही खासियत है। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में बन रहे राज्य के पहले एम्स ने इस सीट को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। 3 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एम्स की आधारशिला रखकर इस क्षेत्र को प्रदेश का अव्वल दर्जे का विधानसभा क्षेत्र बनाने की कोशिश की है।हिमाचल प्रदेश विधानसभा सीट संख्या-48 बिलासपुर विधानसभा। हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र और बिलासपुर जिले के अंतर्गत आने वाले बिलासपुर विधानसभा की कुल आबादी 2011 की जनगणना के मुताबिक 122,630 थी। 2012 के विधानसभा चुनाव के वक्त कुल 75,360 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था। भाखड़ा बांध के कारण बिलासपुर को दुनिया के कोने कोने में जाना जाता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बिलासपुर विधानसभा क्षेत्र राजनीतिक पृष्ठभूमि के लिहाज से राजपूत बहुल क्षेत्र में आता है। बिलासपुर विधानसभा में ब्राह्मण और राजपूत मतदाताओं ने कई नेताओं की किस्मत बनाई और संवारी है। केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा भी उन्हीं नेताओं में से एक रहे हैं। नड्डा ने 1993,1998 और 2007 में इस सीट पर जीत हासिल की थी। बिलासपुर विधानसभा में 1967 के बाद से हुए अब तक के 11 चुनाव में 5 बार कांग्रेस और 5 बार भाजपा को सत्ता हाथ लगी है। एक बार इस सीट पर जनता ने निर्दलीय उम्मीदवार को चुना था। बिलासपुर विधानसभा चुनाव 2017 के लिए कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक बंबर ठाकुर पर दोबारा से दांव लगाया है। बंबर ने जे. पी. नड्डा को 2012 में पटखनी देकर चुनाव में जीत दर्ज की थी। बंबर ठाकुर को हिमाचल के दबंग विधायकों में से एक गिना जाता है। बंबर का विवादों से पुराना नाता रहा है। उनके ऊपर सरकारी कर्मचारियों की पिटाई का आरोप लग चुका है।
मुख्तार अंसारी की मौत : पूर्वांचल के चार जिलों में अलर्ट, बांदा में भी बढ़ी सुरक्षा, जेल में अचानक बिगड़ी थी तबीयत
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक कश्मीर में नजरबंद
शराब घोटाला मामला: एक अप्रैल तक ईडी की हिरासत में केजरीवाल
Daily Horoscope