रोहतक। नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने नेशनल
ग्रीन ट्रिब्यूनल की तर्ज पर नेशनल ट्रिब्यूनल फोर चिल्ड्रन गठित किए जाने
की मांग की है। ताकि बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर रोक लग सके।
उन्होंने कहा कि बच्चों के यौन शोषण के खिलाफ समाज के हर वर्ग को मिलकर काम
करना होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सत्यार्थी शनिवार को रोहतक की महर्षि दयानंद
यूनिवर्सिटी में एक समारोह में बोल रहे थे। वे बच्चों के यौन शोषण व
अपराधों के खिलाफ चलाई जा रही भारत यात्रा के तहत यहां पहुंचे थे। इस
यात्रा की शुरूआत 11 सितंबर को कन्याकुमारी के विवेकानंद शिला स्मारक से
हुई थी। समारोह के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने बच्चों के यौन शोषण के
मामलों पर कड़ी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यौन शोषण के 70 प्रतिशत मामलों
में परिचित संलिप्त होते हैं और यह नैतिकता में लगी महामारी है। कैलाश
सत्यार्थी ने कहा कि भारत में लक्ष्मी, सरस्वती, दुर्गा और काली की पूजा की
जाती है, लेकिन हम कितने पाखंडी हैं जो बच्चियों का यौन शोषण करते हैं।
उन्होंने कहा कि यह डरा हुआ समाज है, जो साधु संतों के चक्कर में अपना शरीर
तक समर्पित कर देते हैं। नोबल पुरस्कार विजेता ने कहा कि यह यात्रा चुप्पी
और भय के खिलाफ है।
इससे पहले समारोह को संबोधित करते हुए हरियाणा के
राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि अगर बच्चे सुरक्षित हैं तो देश व
संसार सुरक्षित है और सभी खुशहाल हैं। उन्होंने कहा कि पैसा संपत्ति नहीं
है, बल्कि बच्चे अमूल्य संपत्ति हैं। उन्होंने कहा कि जिस घर में बच्चे
नहीं हैं, उस घर व परिवार का कोई मतलब नहीं है। राज्यपाल ने जनआंदोलन के
महत्व पर प्रकाश डाला और महात्मा गांधी व स्वामी विवेकानंद का खास तौर पर
जिक्र किया। हरियाणा की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री कविता जैन ने कहा कि
बच्चों के खिलाफ अपराध पूरी दुनिया की समस्या है।
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