रोहतक।
विभिन्न जिलों से प्रदेश के उपभोक्ताओं पर बिजली निगम को 6790 करोड़ रुपए
बकाया है। इनमें 842 करोड़ यानी 12% से ज्यादा सरकारी महकमो और कॉलोनियों पर
बाकी है। सरकारी महकमो और बिल समय पर जमा करने वालों की लापरवाही का
खामियाजा उन सबको भी भुगतना पड़ रहा है, जो समय पर भुगतान करते हैं। यह
समस्या इसलिए रही है क्योंकि भीषण गर्मी में प्रदेश सरकार ने नए नियमों के
तहत पेंडेंसी और लाइनलॉस के आधार पर फीडर के अनुसार बिजली कटौती शुरू की
हुई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सरकार का निर्णय है कि जहां भी 10 फीसदी बकाया होगा, वहां 2
घंटे से अधिक कट लगेंगे। सरकार यदि सरकारी महकमो से ही समय पर रिकवरी कर
ले तो भी आम उपभाेक्ताओं को बिजली से कुछ राहत मिल सकती है। प्रदेश में
सर्वधिक पेंडिंग बिल रेवाड़ी (350 करोड़) और फरीदाबाद (133 करोड़) के सरकारी
महकमों पर हैं। इसके बाद सिरसा और अंबाला जिले आते हैं। सर्वाधिक बकाया नगर
निगम, निकाय, जल संस्थान, लघु सचिवालय और पुलिस महकमों पर है।
बिजली
निगम का काफी पैसा सरकारी महकमों पर बाकी है। हमने रिकवरी के लिए सभी को
पत्र लिखा है। कुछ का जमा किया जा चुका है। सरकारी कार्यालयोें का कनेक्शन
तो काटा नही जा सकता लेकिन रिकवरी का दबाव बनाया जा रहा है। सरकारी
कॉलोनियों में बकाए को लेकर रिकवरी तेज कर दी गई है। इसके साथ ही जनता से
भी बिल भरने की अपील की जा रही है।
जिलों के लघु सचिवालयों में एक ही
मीटर होता है, जबकि आपूर्ति वहां मौजूद सभी विभागों को दी जाती है। ऐसे में
बिल आने पर विभाग एक दूसरे पर टाला करते हैं। जैसे की झज्जर में बिजली
निगम जिले के लघु सचिवालय को निर्बाध रूप से बिजली देता है। यहां 25 विभाग
हैं। हालांकि जब बिजली बिल भरने की बारी आती है तो विभाग दाएं-बाएं झांकने
लगते हैं।
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