नूंह। राजकीय शहीद हसन खान मेवाती मेडिकल काॅलेज नल्हड के डॉक्टरों ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। डॉक्टरों ने दो टूक कहा कि सरकारी अस्पताल सेवा के लिए नहीं बल्कि वोट की राजनीति के लिए बनते हैं। भवन बनाने से काम नहीं चलने वाला, उसमें सहूलियत देना उससे कहीं ज्यादा जरुरी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
नल्हड मेडिकल कालेज में सिरदर्द और बुखार तक की गोली नहीं है। जनता डॉक्टरों पर दवाई में गोलमाल करने से लेकर बाहर मेडिकल स्टोर से दवाई लिखने का आरोप लगाती है। मरीज और उनके तीमारदारों को डॉक्टरों से लड़ने के बजाये विधायक और मंत्री से लड़ाई लड़नी चाहिए। इस व्यवस्था के लिए डॉक्टर नहीं बल्कि राजनेता जिम्मेवार हैं ,जो बातें तो बड़ी - बड़ी करते हैं ,लेकिन हकीकत किसी से छुपी नहीं है। नल्हड में 500 करोड़ की लागत से कांग्रेस सरकार ने मेडिकल कालेज का भवन तो खूबसूरत बनवा दिया, लेकिन अब इसमें दवाइयों से लेकर स्टाफ और अन्य सुविधाओं की कमी खल रही है।
मेडिकल टीचर एसोसिएशन मेवात के दर्जनों डॉक्टरों ने बैठक कर पत्रकारवार्ता में कहा कि अभी तो प्रोमिला मरी है और भी मरेंगे। यहां बड़े - बड़े हादसे होंगे , क्योंकि यहां इंतजाम कुछ भी नहीं हैं। ये डॉक्टर एमबीबीएस के छात्रों को पढ़ाने के लिए नियुक्त हुए हैं ,लेकिन वर्कलोड या मरीज ज्यादा होने के कारण डॉक्टरों का ज्यादा समय अस्पताल में लगता है। डॉक्टरों को डॉक्टरी की पढाई कर रहे छात्रों को भी बेहतर बनाना है। कालेज में लगे डॉक्टरों ने यहां तक कहा कि उन्हें भत्ते इत्यादि के लिए चंडीगढ़ में भीख मांगनी पड़ती है। लाइन में लगने के लिए कहा जाता है। 24 घंटे डॉक्टर मरीजों की देखभाल में कैसे लगा सकता है।
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज पर सीधा हमला करते हुए डॉक्टरों ने कहा कोई दबंग नहीं है ,वोट की राजनीति के चलते सब हो रहा है। डॉक्टरों को कठिन हालात में नौकरी करने के बावजूद भत्ते तक नहीं मिल रहे हैं। सरकार अगर सुविधा मुहैया कराये तो यहां तैनात डॉक्टर निजी अस्पताल मेदांता और एम्स से बढ़कर सेवाएं देने को तैयार हैं। कुल मिलाकर कई साल पहले बने मेडिकल कालेज के डॉक्टरों का दर्द जबान पर पहली बार आया तो सरकार की पोल खोलकर जनता के सामने रख दी। डॉक्टर जब खुले तो एक के बाद एक परतें खोलते चले गए।
डॉक्टर का दावा है कि पूरे विश्व में एक भी मेडिकल कालेज ऐसा नहीं होगा , जहां महिला वार्ड में 15 डॉक्टरों की जगह महज 3 डॉक्टर होंगे, लेकिन मेवात के मेडिकल कालेज में यही आलम है। शायद यही कारण है कि स्टाफ नर्स प्रोमिला और अन्य लोगों की जान चली जाती है। अगर सरकार लोगों को हकीकत में स्वास्थ्य सेवाएं देना चाहती है ,तो मेवात जिले में सरकारी अस्पतालों से लेकर मेडिकल कालेज नल्हड में पर्याप्त मात्रा में स्टाफ और संसाधन मुहैया कराये जाएं। कुल मिलाकर नल्हड मेडिकल कालेज में इस समय करीब 200 डॉक्टर हैं ,लेकिन अभी इतने से भी ज्यादा डॉक्टरों की जरुरत है। मेवात में सरकार को आनन - फानन में स्टाफ और संसाधन मुहैया कराने चाहिए , वर्ना हालात बद से बदतर हो सकते हैं।
जब इस बारे में निदेशक डॉक्टर संसार चंद शर्मा से बातचीत की गई तो उन्होंने माना कि स्टाफ और सुविधाओं की कमी है। समय- समय पर वे स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारीयों से बातचीत और पत्राचार के माध्यम से जानकारी देते रहते हैं। सोमवार को डॉक्टर की बैठक इसलिए बुलाई गई है कि स्टाफ और संसाधनों की कमी के बावजूद लोगों की उम्मीदों पर कैसे खरा उतरा जाये। कुल मिलाकर अगर सरकार ने डॉक्टरों के इस गुस्से और नाराजगी को गंभीरता से नहीं लिया तो करोड़ों रुपये की इस परियोजना पर ताला लटक सकता है। इस अवसर पर डॉक्टर शिवानी प्रधान मेडिकल टीचर एशोसिएशन मेवात , डॉक्टर यामिनी , डॉक्टर अमित चौधरी , डॉक्टर अनुराग, डॉक्टर सुधांशु , डॉक्टर रविदत्त इत्यादि मौजूद थे।
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