कासिम खान ,मेवात।
नूंह जिले के फिरोजपुर झिरका के सैकड़ों गांवों के लोगों का इलाज करने
वाला अस्पताल खुद बीमार पड़ा है। अस्पताल में ना बिजली, ना पानी, इतना ही
नहीं स्टाफ का भारी टोटा है। जिससे इलाके के मरीज हलकान नजर आते है। प्रदेश
सरकार के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर काफी
वाह-वाही लूट रहे है , जबकि पिछड़े इलाके मेवात में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी
तरह नदारद है । ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ज्ञात हो कि इस
अस्पताल की जर्जर इमारत से मरीजों को हर समय खतरा बना हुआ है। अस्पताल की
इमारत पूरी तरह जर्जर है । ग्रामीण इलाके से इलाज कराने आए मरीजों का कहना
है कि भवन की इमारत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। बेड पर इलाज के लिए आने
वाले लोगों को छत का लेंटर देखकर पसीने आ जाते हैं । डॉक्टरों को भी सीएचसी
फिरोजपुर झिरका में इलाज करते हुए डर लगता है। अस्पताल में बतौर एनएचएम
काम करने वाली नर्स ने बताया कि कर्मचारियों को एमरजेंसी के लिए 24 घंटे
डयूटी पर रहना पड़ता है। भवन की हालत को देखकर डर लगता है , कभी भी कोई
इमारत क हिस्सा गिर सकता है।
मरीजों के साथ अपना भी ख्याल रखना पड़ता है। कई
बार रिपेयरिंग कराने का खर्चा ज्यादातर नर्स अपनी जेब से लगा चुकी है।
परंतु भवन की इमारत काफी जर्जर है। ग्रामीण हल्कों से इलाज कराने आए मरीजों
का कहना है कि अधिकारियों को जर्जर भवन के बारे में बताया जाता है वो केवल
आश्वासन देकर चले जाते है। जबकि इलाज कराने आने वाले मरीजों को भवन का
खतरा मंडराता रहता है।
वही लोगोंं ने बताया कि बरसात के दिनों में तो इलाज
कराने आए मरीजों के बेड को एक स्थान से दूसरे स्थान तक खेंचकर मरीजों को
रात गुजारनी पड़ती है। बरसात का पानी छत जर्जर होने के कारण कमरों में आ
जाता है। जब इस बारे में एसएमओ डॉक्टर कृष्ण कुमार से बातचीत की तो
उन्होंने माना कि भवन कंडम हालत में है। सिविल सर्जन डॉक्टर श्रीराम सिवाच
और उन्होंने कोशिश की कि अगर कोई अच्छा सा निजी भवन मिले , तो अस्पताल को
उसमें तब्दील कर दिया जाये , लेकिन पिछड़े मेवात के फिरोजपुर झिरका में ऐसा
कोई भवन ही नहीं मिल पा रहा। मजबूरन स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और
मरीजों को जान जोखिम में डाल कर सीएचसी के जर्जर भवन का ही सहारा लेना पड़
रहा है। आजकल बरसात के सीजन में तो हर समय मौत का खतरा सताता रहता है।
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