नूंह मेवात। जिले की मंडियों में सरकार द्वारा सरसों की खरीद शुरू न करने से किसानों का महाजनों द्वारा खुला शोषण किया जा रहा है। जिले के किसान मजबूरी में सरकारी भाव से कम में सरसों को मंडियों के आढ़तियों को बेच रहे हैं।
सरकार के निर्देंश अनुसार 15 मार्च से हैफड़ द्वारा किसानों की सरसों खरीद शुरू करनी चाहिए थी। लेकिन आज तक जिले की चारों मंडियों में सरसों खरीद शुरू नहीं की गई है। सरकार द्वारा सरसों का भाव 3700 रूपये प्रति क्विंटल खरीद के लिए तय किया गया है। जबकि महाजन व आढ़ती किसानों की सरसों को पिछले 15 दिनों से 3300 रूपये से लेकर 3500 रूपये खरीद रहें है। सरकार द्वारा सरसों की खरीद शुरू करने में हुई देरी का किसानों को करोड़ो रूपये का नुकसान हो चुका है। जब कि महाजनों व मंडी के आढ़तियों ने किसानों की सरसों कम दाम में खरीद कर करोड़ों रूपये का मुनाफा कमा लिया है।
बताया जा रहा है। सरकार द्वारा खरीद शुरू करने के दौरान महाजन अपनी सरसों को सरकारी भाव अनुसार 3700 रूपये क्विंटल बेचेंगे। क्योंकि किसानों के पास सरसों बहुत कम बच पाई है। सरकार की किसान विरोधी नीति व नीयत से जिले किसानों को सरसों की फसल पर भारी नुकसान तथा महाजनों को भारी मुनाफा होने की संभावना है।
जिले के किसान रतीराम-संगेल,खुर्शीद-अकलीमपुर,हाजी असगर-कंकर खेड़ी,कांग्रेस पार्टी के युवा जिला अध्यक्ष मुबारिक नोटकी, उपाध्यक्ष जाकिर हुसैन-सिंगार ने बताया कि हर वर्ष जिले के किसानों का सरकार की खोटी नीयत के चलते समय पर खरीद शुरू न करने से इसी तरह करोड़ो रूपये का नुकसान होता है। सरकार जब खरीद शुरू करेगी तो किसानों की सरसों महाजनों के कब्जे में चली जाती है। सरकारी विभाग मंडियों के आढ़तीयों से मिल कर उसी सरसों को खरीद कर अपनी डयूटी पूरी कर करोड़ो की हेराफेरी आराम से कर देते है।
इस संबंध में डी एफ ए सी आर टी यादव ने कहा कि मेवात के किसान सरकार के आदेशों से अनभिज्ञ है। उन्होंने कहा कि 15 मार्च से हैफैड द्वारा जिले की मंडियों में सरसों की खरीद शुरू करनी चाहिए थी। लेकिन क्यों सरसों की खरीद शुरू नहीं हुई,यह गंभीर मामला है।
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