गुरुग्राम । गुरुग्राम में मंगलवार से हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी
(हरेरा) का विधिवत् रूप से कार्यालय खुल गया है। इसके पहले अध्यक्ष वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ.
के.के. खण्डेलवाल तथा दो सदस्यों समीर कुमार तथा एस.सी. कुश ने भी अपना
कार्यभार संभाल लिया है। कार्यभार
संभालते ही डॉ. खण्डेलवाल ने कहा कि हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती
शिकायतों का 60 दिन में निपटारा करना है। उन्होंने कहा कि यह अथॉरिटी पूरी
स्वायतता के साथ काम करेगी और लोगों की भावनाओं के अनुरूप काम करने का
प्रयास किया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
डॉ.
खण्डेलवाल ने बताया कि यह आथॉरिटी डिवलपर, एजेंट तथा खरीदार तीनों के
हितों को संतुलित करेगी और सभी हितधारको के अधिकारों की रक्षा करेगी।
उन्होंने बताया कि हरेरा लागु होने से रीयल एस्टेट की खरीद फरोक्त में
पारदर्शिता आएगी और इससे लोगों का रीयल एस्टेट के कारोबार में विश्वास
बढ़ेगा जिससे रीयल एस्टेट की ग्रोथ होगी। उन्होेंने बताया कि हरेरा एक्ट लागु होने के समय अर्थात 1 मई, 2017 को
जो रीयल एस्टेट के प्रोजेक्ट चल रहे थे और जिनको कंप्लीशन नहीं मिला था, उन
सभी प्रोजेक्टों को 31 जुलाई 2017 तक हरेरा में रजिस्टर करवाना था।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पारशियल कंप्लीशन वाले प्रोजेक्ट भी रजिस्टर
होने चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि हरेरा में केवल प्रोजैक्ट रजिस्टर
किए जाएंगे ना कि बिल्डर और अथॉरिटी के अधिकार क्षेत्र में पडऩे वाले
प्रोजैक्ट ही रजिस्टर किए जा सकते हैं। इसके विपरित हरेरा में प्रदेश में
किसी भी जिला में रजिस्टर होने वाले एजेंट का रजिस्टे्रशन पूरे हरियाणा में
मान्य होगा।
डा. खंडेलवाल ने बताया कि हरेरा अथॉरिटी के समक्ष रखी जाने वाली शिकायत अपने आप में पूरी
हो, उसमें सभी तथ्यों को वर्णित किया गया हो तथा वह निर्धारित फोरमेट में
होनी चाहिए। मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया
कि जो शिकायतें फोरमेट के अनुसार नही होंगी उन्हें भी रिजेक्ट नही किया
जाएगा बल्कि शिकायतकर्ताओं को सही फोरमेट में अपनी शिकायत देने के लिए
प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए शिक्षा विभाग से प्रतिनियुक्ति पर 6 लीगल
एसीस्टेंट लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस अथॉरिटी का काम लोगों को न्याय
दिलवाने के साथ-साथ जागरूक करना भी है। उन्होंने बताया कि किसी भी न्यायालय
में विचाराधीन मामले पर हरेरा अथॉरिटी सुनवाई नहीं करेगी। शिकायतकर्ता यदि
चाहें तो अपनी शिकायत को न्यायालय से अथॉरिटी के पास ट्रांसफर करवा सकते
हैं।
उन्होंने
बताया कि अब तक हरेरा गुरुग्राम को चण्डीगढ़ में लगभग 200 शिकायतें
प्राप्त हुई हैं। उन्होंने बताया कि 254 नए प्रोजैक्ट तथा लगभग 800
निर्माणाधीन प्रोजैक्ट अभी तक अथॉरिटी में रजिस्टर हुए हैं। आज गुरुग्राम
में कार्यालय खुलने के पहले दिन 3 ऐजेंटो ने अपने आपको रजिस्टर करवाने का
आवेदन दिया है तथा अलाटियों से 2 शिकायतें भी प्राप्त हुई हैं। डा.
खण्डेलवाल ने कहा कि एक शिकायतकर्ता को निर्धारित फोरमेट में शिकायत की चार
प्रतियां अथॉरिटी में देनी होंगी। साथ में एक शपथ पत्र भी देना होगा कि यह
मामला किसी भी न्यायालय में लंबित नहीं है। उन्होंने बताया कि शिकायत
प्राप्त होने के बाद दोनो पक्षों की सुनवाई के बाद ही 60 दिन में फैसला
सुनाने के प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि अथॉरिटी के फैसले के
खिलाफ ट्राईब्युनल में अपील की जा सकती है। हरियाणा में टाउन एण्ड कंट्री
प्लानिंग विभाग के ट्राईब्युनल को ही अपलेट अथॉरिटी के तौर पर नोटिफाई कर
दिया गया है। ट्राईब्युनल के फैसले से भी संतुष्ट नहीं होने पर कोई भी पक्ष
उच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकता है।
डा. खण्डेलवाल ने बताया कि हरेरा
एक्ट में दण्ड के प्रावधान किए गए हैं जिनके अनुसार एक बिल्डर पर अधिकतम
प्रोजेक्ट की कीमत का 10 प्रतिशत जुर्माना अथवा पैनेल्टी लगाई जा सकती है।
इसके अलावा, क्रिमिनल अर्थात् आपराधिक कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके लिए
हरेरा अथॉरिटी में आने वाले समय में एक प्रोजिक्युशन विंग का भी गठन किया
जाएगा। पहले प्राप्त शिकायतों को भी निर्धारित फोरमेट में
देने के लिए शिकायतकर्ताओं से आग्रह किया जाएगा और जो शिकायतें फोरमेट में
होंगी उनकी जीरो डेट कल बुधवार 7 फरवरी को मानते हुए 60 दिन में उनका
निपटारा किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि जल्द ही ऑनलाईन शिकायतें
प्राप्त करने की व्यवस्था भी की जाएगी।
उन्होंने
बताया कि बिल्डर, ऐजेंट तथा अलाटी या बायर तीनों से ईमानदारी की अपेक्षा
की जाती है और हरेरा एक्ट लागू होने के बाद बायर को बिल्डर अपने प्रोजेक्ट
के बारे में सही जानकारी देगा तथा पहले की तरह झूठे वायदे नही कर सकता। इसी
प्रकार, प्रोपर्टी डीलर अथवा ऐजेंट भी प्रोजैक्ट के बारे में सही विवरण
देगा और बायर अथवा अलाटी भी समय पर अपनी किस्त की अदायगी करेगा। डा.
खण्डेलवाल ने कहा कि अब बिल्डर तथा अलाटी के लिए गलती करने पर एक जैसी सजा
अथवा दण्ड होगा। पहले की तरह यह नहीं होगा कि अलाटी गलती करे तो जुर्माना
ज्यादा और बिल्डर गलती करें तो जुर्माना नाम मात्र का। उन्होंने कहा कि
इससे यह लाभ होगा कि कोई भी व्यक्ति अलग-अलग रीयल एस्टेट प्रोजैक्ट की
जानकारी हासिल कर फैसला ले पाएगा कि उसे कहां प्रॉपर्टी खरीदनी है।
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