चंडीगढ़। पंजाब
सरकार ने व्यापार और वाणिज्य विभाग से अलग कर कर खनन (माईनिंग) और भूमि
-विज्ञान (जीओलोजी) विभाग बनाने का फ़ैसला किया है । यह कदम इस क्षेत्र जो
राज्य के राजस्व में सब से अधिक योगदान डालने वाले क्षेत्र के तौर पर उभरा
है और तेज़ी से विकास कर रहा है, का स्थाई विकास यकीनी बनाएगा ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह
फ़ैसला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता अधीन यहां गुरूवार
को हुई कैबिनेट मीटिंग में लिया गया। वज़ारती बैठक बाद सरकारी प्रतिनिधि ने
बताया कि इस कदम से राज्य पर कोई अतिरिक्त वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा
क्योंकि इस नये विभाग, जिसके 598 कर्मचारी होंगे, का कैडर जल स्रोत विभाग
से लिया जायेगा ।कैबिनेट मीटिंग में जिक्र किया गया कि खनन
गतिविधियों में विस्तार से वातावरण, प्रशासकी और कानूनी के अलावा
मार्किटिंग और वित्तीय चुनौतियां बढ़ रही थी। इस कारण खनन गतिविधियों पर
विशेष ध्यान दिये जाने की जरूरत थी। प्रगतिशील नीलामी की व्यवस्था, जिस
कारण खनन क्षेत्र राज्य के राजस्व में वर्णननीय योगदान डालने वाले क्षेत्र
के तौर पर उभरा है, शुरू किये जाने के बाद यह ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया था ।
मंत्रालय में चर्चा हुई कि ज़्यादातर खनन गतिविधियों नदियों में चल रही
हैं और जल स्रोत विभाग अपनी पेशेवर मानवीय शक्ति और तकनीकी कोैशल से लैस
है, जिस कारण नये खनन विभाग को अपेक्षित सहयोग उपयुक्त होगा।
गत
2 फरवरी को मुख्य सचिव के नेतृत्व अधीन हुई मीटिंग के सुझाव, जिस में
औद्योगिक गतिविधियों से खनन को अलग करने के लिए कहा गया था, को आज कैबिनेट
ने मंज़ूर कर लिया । मंत्रालय ने सहमति अभिव्यक्त कि व्यापार और वाणिज्य
विभाग के पास खनन गतिविधियों पर नजऱ रखने के लिए सीमित मानवीय शक्ति है और
सरकार की नयी औद्योगिक नीति मुताबिक इस विभाग का ध्यान औद्योगिक प्रोत्साहन
और व्यापारिक विकास पर केंद्रित किया जाना है ।कैबनिट के विचार
मुताबिक निर्माण सामग्री के तौर पर रेत और बजरी की बढ़ रही माँग कारण रेत
खनन गतिविधियां तेज़ी से बढ़ी हैं, जिस कारण कई समस्याएं उत्पन्न हो गई थी।
इनसे निपटने के लिए ओद्यौगिक और वाणिज्य विभाग लैस नहीं।
गत 2
फरवरी की मीटिंग जिसमें उद्योग और वाणिज्य विभाग, जल स्रोत विभाग और आम
प्रशासन विभाग के प्रतिनिधि मौजूद थे, में यह नया विभाग (ढांचा, जगह, आईटी
व्यवस्था और प्रोजैकट मैनेजमेंट) कायम करने सम्बन्धित मुद्दे विचारे गए थे।
इस मीटिंग में आजकल समय में राज्य में बड़े स्तर पर चल रही खनन गतिविधियंो
पर चर्चा की गई थी। मीटिंग में कंटरैकटज़ को लागू करने के अलावा सर्वेक्षण
के लिए संसधानों में ज़रुरी वृद्धि, खनन योजना की तैयारी, नीलामी
प्रक्रिया के प्रबंध और नीलामी के बाद के प्रबंध पर विचार विमर्श किया गया। मौजूदा
समय पंजाब सरकार द्वारा व्यापार की वितरण सम्बन्धित नियमों मुताबिक खनन से
संबधित ओद्यौगिक और वाणिज्य विभाग के पास है, जिसकी व्यवस्था पैट्रोलियम
एक्ट 1934, खनन कानून 1952 और खनन और खनिज (नियम और विकास) कानून 1957 के
अलावा पैट्रोलियम नियम 1937 लागू करने, पैट्रोलियम कंसैशन रूल्ज 1949 और
मिनरल कंससैशन रूल्ज 1964 के अंतर्गत की गई है।
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