चंडीगढ़।
हरियाणा सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के सतत विकास लक्ष्यों
के अनुसार राज्य में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) को वर्ष 2030 तक 70 से कम
करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम),
हरियाणा की मिशन निदेशक सुश्री अमनीत पी कुमार ने आज यहां यह जानकारी देते
हुए बताया कि राज्य सरकार मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) और शिशु मृत्यु दर
(आईएमआर), दोनों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने कहा
कि राज्य में सुरक्षित संस्थागत प्रसूति को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न
प्रयास किए जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
(एनएचएम), हरियाणा द्वारा संयुक्त रूप से ‘जीरो होम डिलिवरी अभियान’ शुरू
किया गया है ताकि संस्थागत प्रसूति के लाभ और इसके लिए दी जा रही विभिन्न
सुविधाओं के बारे में लोगों को जानकारी दी जा सके। इस अभियान के अंतर्गत,
उन जिले में स्वास्थ्य अधिकारियों, कर्मचारियों और धार्मिक प्रचारकों के
साथ अनेक बैठकें आयोजित की गई, जहां बड़ी संख्या में घरों में प्रसूतियां
हो रही थीं और उन्हें घर से प्रसूति को शून्य तक लाने के प्रयास करन का
आग्रह किया गया। इसके अलावा, आशा, लेडी हेल्थ विजिटर (एलएचवी) और सहायक
नर्स मिडवाइफ (एएनएम) को अपने संबंधित क्षेत्रों में लोगों को संस्थागत
प्रसूति के लिए सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न सुविधाओं के बारे में
जागरूक करने को कहा गया है।
सुश्री कुमार ने कहा कि गृह-प्रसूति के
मामले में मां और शिशु, दोनों को संक्रमण होने की संभावना को देखते हुए,
सभी कर्मचारियों और दाइयों को निर्देश दिए गए हैं कि वे घर में प्रसव नहीं
करवाएंगी अन्यथा उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि हाल
ही में, स्वास्थ्य विभाग द्वारा सिरसा जिले के डबवाली ब्लॉक में की गई एक
जांच के दौरान, एक मामले सामने आया हैं जहां गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी तो
पंजाब में हुई, जबकि पंजीकरण हरियाणा में किया गया। उन्होंने कहा कि
पड़ोसी राज्य पंजाब के साथ लगते इलाकों में कुछ दाइयों की सहमति से ऐसा
लगातार जारी है कि वे पंजाब में गर्भवती महिलाओं की प्रसूति करवाने के बाद
पंजीकरण के लिए उन्हें हरियाणा के नगर परिषद के कार्यालयों में भेज देती
हैं। उन्होंने कहा कि संबंधित नगर परिषद को इन दाइयों के खिलाफ कड़ी
कार्रवाई करने को कहा गया है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
द्वारा राज्य में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में सुधार के लिए
लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। सुरक्षित संस्थागत प्रसूति को बढ़ावा देने
के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को राज्य
के सरकारी अस्पतालों में दवा, प्रयोगशाला परीक्षण, अल्ट्रासाउंड, रक्त और
परिवहन जैसी विभिन्न सुविधाएं नि:शुल्क प्रदान की जा रही है।
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