चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ई-लर्निंग डिजिटलाइजेशन के विजन
को आगे बढ़ाने वाला हरियाणा देश का पहला प्रदेश बन गया है और इस कड़ी में कल हरियाणा के उच्चतर शिक्षा विभाग ने
मुख्यमंत्री मनोहर लाल और शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा की उपस्थिति में
विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में ऑफ लाइन डिजिटल सामग्री हेतु विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग के कंसोर्टियम फोर एजुकेशनल कम्यूनिकेशन (सीईसी) के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
किए।
एमओयू पर
राज्य सरकार की ओर से उच्चतर शिक्षा विभाग के महानिदेशक विजय सिंह दहिया ने और
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से सीईसी के निदेशक प्रो० राजबीर सिंह ने समझौता ज्ञापन
पर हस्ताक्षर किए।
मुख्यमंत्री
ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि बदलते परिदृश्य के अनुरूप शिक्षा की गुणवत्ता
व अध्ययन पद्घतियां बदल रही हैं और आज का यह कार्यक्रम भी उसी कड़ी का हिस्सा है। उन्होंने
कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन से हमें प्रेरणा मिली है और छह महीने
पहले जब निदेशक राजबीर सिंह ने उनसे मुलाकात की थी तो इस विषय पर चर्चा की थी। उसी
कड़ी में दिल्ली दौरे के दौरान सीईसी केन्द्र का अवलोकन भी किया और उसी दिन हरियाणा
के विद्यार्थियों के लिए इसे उपलब्ध करवाने की मंशा बना ली थी। उन्होंने कहा कि सीईसी
के इस दस्तावेज में 44,000 घण्टे की अध्ययन सामग्री है, जिसे देशभर के 3000 से अधिक
अध्यापकों ने तैयार किया है। निश्चित रूप से यह प्रतिस्पर्धा के रूप में न केवल विद्यार्थियों
के लिए बल्कि अध्यापकों के लिए भी मील का पत्थर साबित होगा। हालांकि आरम्भ में यह ऑफ
लाइन उपलब्ध रहेगा।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि हरियाणा सरकार ने मैरिट के आधार पर नौकरी देने की अवधारणा पर कार्य किया
है, जिसके चलते विद्यार्थियों में पढ़ने की ललक बढ़ी है। आज हरियाणा में सरकारी नौकरी
के लिए किसी राजनैतिक आकाओं के इर्द-गिर्द नहीं घूमना पड़ता, न ही किसी को रिश्वत देनी
पड़ती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा पद्घति भी डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ी है, जो आज समय
की जरूरत है। इस मौके पर शिक्षा
मंत्री राम विलास शर्मा ने भी सम्बोधित किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस अवसर पर उच्चतर शिक्षा विभाग के
महानिदेशक विजय सिंह दहिया ने धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया। समझौता ज्ञापन समारोह में कृषि एवं किसान
कल्याण मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति, कुलसचिव, सरकारी
एवं गैर सरकारी सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के प्राचायों के अलावा संकाय सदस्य व
उच्चतर शिक्षा विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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