चंडीगढ़। हरियाणा सरकार ने एक अध्यादेश लाकर हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद स्थापित करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में यहां हुई मंत्रिमंडल की बैठक में हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के गठन के लिए अध्यादेश के मसौदे को स्वीकृति प्रदान की गई, ताकि नीति निर्धारण और परिप्रेक्ष्य आयोजना के लिए शैक्षिक इनपुट प्राप्त करके शैक्षणिक उत्कृष्टता और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए एक अनुकूल माहौल बनाया जा सके। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हरियाणा के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया कर्मियों से यह बात कही। उन्होंने कहा कि परिषद राज्य में सभी उच्चतर शिक्षा संस्थानों की स्वायत्तता और अधिक जवाबदेही सुनिश्चित करेगी और राज्य की सामाजिक-आर्थिक आवश्यकताओं के अनुसार उच्चतर शिक्षा के विकास के लिए भी मार्गदर्शन करेगी।
यह अधिनियम हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद अधिनियम, 2017 कहलाएगा। परिषद का एक अध्यक्ष होगा, जो सिद्ध नेतृत्व गुणों वाला शिक्षाविद् या एक मशहूर बौद्धिक होगा। उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव इसके सदस्य सचिव होंगे। परिषद का उपाध्यक्ष ऐसा शिक्षा प्रशासक होगा जो प्रोफेसर या समकक्ष पद पर कार्य कर रहा हो या जिसने ऐसे पद पर कार्य किया हो। राज्य परियोजना निदेशक, उच्चतर शिक्षा विभाग एवं तकनीकी शिक्षा विभाग का एक-एक प्रतिनिधि,जो उप निदेशक के रैंक से कम के नहीं होंगे, वित्त विभाग का प्रतिनिधि, जो संयुक्त सचिव के रैंक से कम का नहीं होगा, परिषद के सदस्य होंगे। इसके अतिरिक्त कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, सामाजिक क्षेत्र और उद्योग तथा व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र से 15 सदस्य भी होंगे।
उन्होंने कहा कि परिषद के 10 सदस्य राज्य से और पांच सदस्य अन्य राज्यों से होंगे। परिषद के अन्य सदस्यों में राज्य के तीन विश्वविद्यालयों के कुलपति, स्वायत्त या संबद्ध महाविद्यालयों के दो प्रधानाचार्य और केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा नामित एक सदस्य शामिल होगा। प्रत्येक नामांकित सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष के लिए होगा। एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक दो-दो वर्ष के बाद सेवानिवृत हो जाएंगे और परिषद प्रत्येक दो वर्ष में सात नए सदस्यों को नामांकित करेगी। परिषद की प्रत्येक तीन महीनों में एक बार बैठक होगी। राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट स्थान परिषद का मुख्यालय होगा।
परिषद का प्रथम अध्यक्ष राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा और वह इस पद पर तब तक जारी रहेगा जब तक कि चयन समिति इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत एक अध्यक्ष का चयन नहीं करती। परिषद के अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार की तलाश के लिए तीन प्रतिष्ठित शिक्षाविदों या प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों की एक सलाहकार समिति होगी। इन तीन सदस्यों में से दो सदस्यों को परिषद द्वारा और एक सदस्य को राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा और वह सलाहकार समिति का अध्यक्ष होगा। अध्यक्ष का कार्यकाल पांच वर्ष की अवधि के लिए होगा। सलाहकार समिति की सिफारिश पर चयन समिति द्वारा अध्यक्ष का चयन किया जाएगा जिसमें राज्य विधानसभा के अध्यक्ष, मुख्यमंत्री तथा नेता प्रतिपक्ष शामिल होंगे। किसी सदस्य की अयोग्यता के संबंध में विवाद पर मुख्यमंत्री का निर्णय अंतिम होगा।
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