चंडीगढ़। हरियाणा
के पंचायत एवं विकास मंत्री ओम प्रकाश धनखड़ ने कहा कि हरियाणा में
गुरुवार से ग्रामीण हरियाणा की 6205 ग्राम पंचायतें खुले में शौच से मुक्त
की गई हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
धनखड़ ने हरियाणा निवास में एक पत्रकार सम्मेलन में यह
जानकारी दी। उऩ्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश, सिक्किम व केरल राज्यों के
बाद ग्रामीण हरियाणा खुले में शौच मुक्त प्रदेश बन गया है, जबकि
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ओडीएफ करने के लिए स्वर्ण जयंती
वर्ष अर्थात एक नवम्बर, 2017 का लक्ष्य दिया गया था और इस लक्ष्य को पंचायत
एवं विकास विभाग द्वारा 30 जून तक निर्धारित किया गया, जबकि निर्धारित समय
से पूर्व ही यह लक्ष्य प्राप्त कर लिया गया, जो अपने आप में एक उपलब्धि
है। उन्होंने कहा कि अब इसे निरंतर बनाए रखना है और ओडीएफ प्लस अर्थात ठोस,
तरल कचरे का निपटान भी हर घर अपने स्तर पर करे, जिसकी योजना तैयार की जा
रही है। आरम्भ में 16 पॉयलट परियोजनाओं पर कार्य चलेगा।
उन्होंने कहा
कि ओडीएफ मुक्त बनाने में मीडिया की भी अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि
खुले में शौच जाना एक आदत से जुड़ा हुआ मुद्दा है और इस व्यावहार में
बदलाव लाना एक चुनौती भरा कार्य है। उन्होंने बताया कि 2012 के सर्वे के
अनुसार ग्रामीण हरियाणा में 30 लाख 24 हजार 600 घर थे, जिनमें से 7 लाख 51
हजार 180 घरों में शौचालय नहीं थे। वर्तमान सरकार के ढ़ाई वर्ष के कार्यकाल
में ग्रामीण हरियाणा के हर घर में शौचालय बनना संभव हुआ है। चाहे वह
पंचायती चुनाव लडऩे के लिए घर में अनिवार्य रूप से शौचालय होने की शर्त हो।
इस निर्णय से चुनाव के समय 51000 से अधिक शौचालय बने थे। उन्होंने कहा कि
जिन गांवों की जनसंख्या 10000 से अधिक है, वहां पर सीवरेज की सुविधा उपलब्ध
करवाई जाएगी, पहले चरण में 15 गांव का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि
हमारा लक्ष्य स्मार्ट विलेज बनाने की है, इसमें समाज के लोगों का भी सहयोग
लिया जाएगा। 20 वर्ष तक आयु तक के युवाओं को ग्रामीण विकास में भागीदार
बनाने के लिए ‘तरूण’ नामक योजना शुरू की गई।
धनखड़ ने कहा कि
सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के साथ मिलकर पंचायत एवं विकास विभाग एक
प्राधिकरण का गठन जो प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के 15000 से अधिक तालाबों
के पानी का त्रिस्तरीय पद्धति के माध्यम से उपचारित कर सिंचाई के लिए
उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रारम्भ में 50 से 100 एकड़ जमीन को
सिंचित करने की पहचान की जाएगी। इसके अलावा, गंदे पानी की निकासी ड्रेन के
माध्यम से इसकी भी कार्य योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्वच्छ
भारत मिशन (ग्रामीण) एक सामुदायिक स्वच्छता नेतृत्व दृष्टिकोण अपनाने के
कारण अपने लक्ष्य प्राप्त करने में सफल हो चुका है। इसके लिए उन्होंने
ग्राम पंचायतों के जन-प्रतिनिधियों, गैर-सरकारी संगठनों, समाज के प्रबुद्ध
लोगों के साथ-साथ विभाग के अधिकारियों का भी आभार व्यक्त किया है।
एक
प्रश्न के उत्तर में श्री धनखड़ ने कहा कि सूरजमुखी की खरीद न्यूनतम समर्थन
मूल्य पर हो, इसके लिए 50 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र सरकार अपने स्तर पर
खरीदे, इसके लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा गया है और शेष 50 प्रतिशत की
खरीद हरियाणा सरकार अपनी खरीद एजेन्सी के माध्यमों से करवाएगी।
एक
प्रश्न के उत्तर में श्री धनखड़ ने कहा कि कृषि की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़
बनाने के लिए यूरोपियन देश में भी अपने तरीके से सब्सिडी देते हैं।
उन्होंने कहा कि हरियाणा देश का ऐसा राज्य हैं जहां प्रति किसान प्रति एकड़
11000 रुपये की विभिन्न प्रकार की सब्सिडयां दी जाती हैं। यदि हम इसकी
वार्षिक गणना करें तो यह 62000 रुपये प्रति एकड़ बनती है।
स्वामीनाथन
आयोग की सिफारिशों के सम्बंध में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में श्री
धनखड़ ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग का गठन पूर्व की यूपीए सरकार ने पूर्व
प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार के समय गठित सोमपाल शास्त्री
आयोग को भंग कर किया था तथा स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट 2006 में आ गई थी।
यूपीए सरकार इसे लागू करने में हिचकचाती रही और अपना 10 वर्ष का समय ऐसे ही
निकाल दिया। उन्होंन आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री
श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा अगर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने
में इतने गंभीर होते तो उनकी अध्यक्षता में किसानो की आय बढ़ाने के लिए
गठित मुख्यमंत्रियों के समूह द्वारा दी गई सिफारिशों को भी वे लागू करने
में नाकाम रहे जबकि उस समय केन्द्र व हरियाणा में कांग्रेस की सरकारें ही
थी।
धनखड़ ने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि वे देश के अन्य 28
राज्यों में स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए उठाए गए कदमों
का हरियाणा के साथ तुलनात्मक अध्ययन करें और उन्हें यह अध्ययन पर अपने
निष्कर्ष पर मिलेगा की हरियाणा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें चरणबद्ध तरीके
से लागू करने में सबसे आगे है। धनखड़ ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री
भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में पंजाब, बिहार व बंगाल के
मुख्यमंत्रियों को शामिल कर गठित किये गए कार्य समूह में फसलों की नुकसान
की भरपाई के लिए 6000 रुपये प्रति एकड़ मुआवजे की बात कही थी, जबकि
स्वामीनाथन आयोग ने अपनी रिपोर्ट में 10000 रुपये प्रति एकड़ की सिफारिश की
है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने इसे 12000 रुपये प्रति एकड़ किया
है। इसी प्रकार, स्वामीनाथन आयोग ने खेती को जोखिम फ्री बनाने की बात कही
है, उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पशुधन
बीमा योजना आदि उसी के हिस्से हैं। हम जोखिम फ्री गांव बनाने की ओर भी बढ़
रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की आय एक लाख रुपये प्रति एकड़ तक हो,
इसके लिए स्वामीनाथन आयोग ने फसल विविधिकरण पर जोर दिया है और उस कड़ी में
हरियाणा सरकार जैविक खेती, बागवानी खेती, पैरी एग्रीकल्चर अवधरणा पर जोर दे
रही है। इस कड़ी में हाल ही में उनके आस्टे्रलिया, न्यूजीलैण्ड व फिजी
जैसे देशों के दौरे के दौरान सहयोग की संभावनाएं बढ़ी हैं।
इस अवसर पर
पंचायत एवं विकास विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती नवराज संधू, निदेशक
श्री अशोक मीणा, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री अमित आर्य के अलावा
विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
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