व्यास ने बताया कि दोनों बच्चों के दिमाग आपस में
जुड़ हुए थे और सर्जरी करके दिमाग को अलग कर पाना संभव नहीं है। परिवार को
पहले ही इस जटिलता के बारे में बता दिया गया था। गर्भावस्था के सातवें
महीने तक मां को यही पता था कि उनकी डिलीवरी नॉर्मल है और सबकुछ सामान्य है
क्योंकि तब तक उसने कोई स्कैन या अल्ट्रा-साउंड नहीं कराया था। ये भी पढ़ें - यहां सास पिलाती है दूल्हे को शराब, तभी होती है शादी
इन
बच्चों की मां को बीते दिन अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। माता-पिता ने
बच्चे को रिसर्च के लिए मेडिकल कॉलेज को दे दिया है। हालांकि इस तरह की
डिलीवरी का ये कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले 2014 में भी एक ऐसे ही
बच्चे का जन्म हुआ था। यह बच्चे 20 दिन जिंदा रहे थे।
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