कपड़ों को डाई करने से
पहले उन्हें पानी में पूरी रात भिगोया जाता है, ताकि उनमें से अतिरिक्त
स्टार्च निकल जाए। इसके बाद उन्हें धूप में सुखाया जाता है। सूखने के बाद
उन्हें मयोब्रालम रंग से रंगा जाता है, जिसके बाद फिर से उन्हें धूप में
सूखने के लिए रख दिया जाता है।
इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद
शिल्पकार पारंपरिक डिजाइनों वाले लकड़ी के ब्लॉक को चुनते हंै और फिर
उन्हें गोंद की सहायता से सावधानीपूर्वक कपड़ों पर चिपकाया जाता है।
अज्रख
प्रिंटिग में कपड़े पर ब्लॉक रखने के बाद उसे दबाकर रखना होता है। इसी
प्रकार शिल्पकार ब्लॉक्स को चुनते हैं, उन्हें रंगते हैं और सावधानीपूर्वक
उन्हें कपड़ों पर रखकर दबाया जाता है। यह प्रक्रिया पूरी होने के बाद
कपड़ों को धोकर धूप में सुखाया जाता है।
कपड़ों मे इस्तेमाल होने
वाली सभी रंग प्राकृतिक तरीके से बनाए जाते हैं। अज्रख को अरबी भाषा में
इंडिगो कहा जाता है, जिसका अर्थ नील का पौधा होता है। यह पौधा 1956 में
कच्छ में आए भूकंप से पहले तक इलाके में हर तरफ दिखता था। लेकिन, कुछ
शिल्पकारों की मानें तो अज्रख शब्द ‘आज रख’ से आया है।
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