पणजी। केंद्रीय महिला एंव बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने लडिक़यों और महिलाओं के साथ होने वाली छेड़छाड़ और अपराध की घटनाओं के लिए बॉलीवुड और प्रादेशिक फिल्मों को जिम्मेदार ठहराया है। मेनका गांधी ने कहा, ‘फिल्मों में रोमांस की शुरुआत ही छेड़छाड़ के साथ शुरू होती है। लडक़ा और उसके दोस्त लडक़ी के इर्द-गिर्द घूमते हैं, उसके साथ आते-जाते हैं, उन्हें गाली देते हैं, वह उसे छूता है और आखिरकार लडक़ी उसके प्यार में पड़ जाती है।’ उन्होंने कहा कि इन सारी चीजों को करने के लिए पुरुष फिल्में देखकर प्रेरणा लेते हैं। गोवा फेस्ट 2017 में मेनका गांधी ने फिल्मकारों और विज्ञापन बनाने वालों से अपील की कि वे महिलाओं की अच्छी छवि को दिखाएं।
मेनका गांधी के इस बयान पर सोशल मीडिया पर काफी संख्या में लोगों की प्रतिक्रिया आ रही है। कुछ लोग केंद्रीय मंत्री के इस बयान को बेतुका बता रहे हैं तो कोई तंज कसते हुए देश में फिल्मों को बैन करने की बातें कर रहा है। ट्विटर यूजर सुभाष रामनाथ ने ट्वीट किया है, ‘कपड़ों के बाद फिल्म को जिम्मेदार ठहराकर पाखंड है।’ एक अन्य ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया, ‘बैन कर दो सब फिल्म, बैन टीवी, बैन मीडिया।’ एक और ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया है, ‘तो फिल्म निर्माण बैन कर दो।’
सिजेरियन डिलीवरी की खिलाफत कर चुकी हैं मेनका
पिछले साल मेनका गांधी अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी (ऑपरेशन के जरिए प्रसव) की होड़ के खिलाफ मोर्चा खोला था। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर अस्पतालों से सिजेरियन डिलीवरी के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की थीं। महिला व बाल विकास मंत्री ने कहा था कि हमारे अस्पतालों में सिजेरियन डिलीवरी घोटाले का रूप लेती जा रही है। उन्होंने सिजेरियन डिलीवरी की वजह से सेहत पर पडऩे वाले असर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि मातृत्व स्वास्थ्य से जुड़े कई अहम मुद्दे इसमें शामिल हैं जिन पर ध्यान देने की जरूरत है।
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