कोर्ट ने आदेश दिया कि या तो रुखमाबाई अपने पति के साथ जाए या 6 माह की जेल
होगी। इसके बावजूद रुखमाबाई अपने फैसले पर अडिग रही। जब मामला काफी चर्चित
हो गया तो क्वीन विक्टोरिया को इसमें हस्तक्षेप करना पडा। क्वीन
विक्टोरिया कोर्ट के फैसले का विरोध किया। इस विरोध ने गर्वमेंट को 1891
में संधि अधिनियम की आयु पारित करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद
रुखमाबाई ने टाइम्स ऑफ इंडिया में हिंदू लेडी के नाम से दो आर्टिकल लिखे।
इन लेख के शीर्षक थे इंफेंट मैरिज और फोर्सडविडोहुड। रुखमाबाई के इन लेख से
हिंदू समुदाय और उनके नेता चकित रह गए थे। ये भी पढ़ें - शर्त या पागलपंथी!निगली एक फुट लंबी संडासी
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