नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को इस प्रश्न का मामला नौ न्यायाधीशों की सदस्यता वाली एक संवैधानिक पीठ को सौंप दिया कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है या नहीं। इस फैसले पर ही आधार योजना की वैधता का मुद्दा टिका हुआ है। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली संवैधानिक पीठ ने मामला एक और बडी पीठ को सौंपते हुए कहा कि इसकी सुनवाई बुधवार को शुरू होगी। न्यायमूर्ति खेहर ने कहा कि पीठ फैसला करेगी कि भारतीय संविधान में निजता का कोई अधिकार है या नहीं है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि नौ सदस्यीय पीठ 1954 में आठ न्यायाधीशों की सदस्यता वाली और उसके बाद 1963 में छह सदस्यीय पीठ के फैसलों की भी जांच करेगी। अदालत ने कहा कि 1954 और 1962 दोनों में ही पीठ ने फैसले में कहा था कि निजता मौलिक अधिकार नहीं है। हालांकि 1970 के मध्य में दो और तीन न्यायाधीशों की सदस्यता वाली पीठों ने जोर देकर कहा था कि निजता एक मौलिक अधिकार है।
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