नई दिल्ली| विदेश मंत्री सुषमा
स्वराज ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी से इस सप्ताह के शुरुआत में बैठक के
दौरान कहा था कि भारत-चीन सीमा पर शांति मजबूत द्विपक्षीय संबंधों की पहली
जरूरत है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि सुषमा स्वराज व वांग यी ने भी इस 'चुनौती' का
उल्लेख किया कि डोकलाम गतिरोध ने द्विपक्षीय संबंधों के समक्ष मुश्किल खड़ी
की और दोनों पक्षों ने सोमवार को अपनी मुलाकात के दौरान ठोस राजनयिक
बातचीत के जरिए इसके प्रस्ताव पर संतुष्टि जाहिर की। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चीनी मीडिया
में बैठक की खबर आने के एक दिन बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों
ने 73 दिनों चले गतिरोध के समाधान के तरीके पर संतोष जाहिर किया।
विदेश
मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बैठक की पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों
देशों के नेताओं की 11 दिसंबर को हुई मुलाकात में डोकलाम मुद्दे पर चर्चा
की गई।
उन्होंने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने 73 दिनों के गतिरोध को द्विपक्षीय संबंधों के लिए 'चुनौती' बताया।
चीन
ने मंगलवार को एक बयान जारी कर बैठक का विवरण दिया था। इसके अनुसार वांग
ने बैठक में कहा कि डोकलाम में सैन्य गतिरोध से द्विपक्षीय संबंध गंभीर रूप
से प्रभावित हुए हैं। उन्होंने इसके लिए भारत सीमा रक्षकों की सीमा पार
घुसपैठ को जिम्मेदार ठहराया।
कुमार ने कहा, "विदेश मंत्री (सुषमा
स्वराज) व चीन के विदेश मंत्री ने संबंधों के समक्ष इस चुनौती का उल्लेख
किया और दोनों ने ठोस राजनयिक बातचीत के जरिए सैनिकों को हटाकर समाधान के
तरीके पर संतोष जाहिर किया।"
प्रवक्ता के अनुसार, वांग ने कहा कि डोकलाम मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान दोनों पक्षों की राजनीतिक परिपक्वता को दिखाता है।
इससे
सहमति जताते हुए सुषमा स्वराज ने जवाब में कहा कि द्विपक्षीय संबंधों के
सुचारु विकास के लिए सीमावर्ती इलाके में शांति व स्थिरता बनाए रखना पहली
जरूरत है।
उन्होंने एक दूसरे की संवेदनशीलता व चिंता के साथ द्विपक्षीय मतभेदों पर बातचीत करने को भी रेखांकित किया।
आईएएनएस
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