नई दिल्ली। आज नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कार्यभार संभाल लिया। राज्यससभा में सत्ता पक्ष के साथ विपक्ष ने भी उनका स्वागत किया। विपक्ष की ओर से नायडू को स्वागत में नसीहत भी मिली। विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने नए उपराष्ट्रपति व राज्यसभा के नए सभापति एम. वैंकेया नायडू का स्वागत करते हुए उन्हें कहा कि उम्मीद है कि निष्पक्षता की परंपरा कायम रहेगी। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि नायडू एक साधारण पृष्ठभूमि से आए हैं और अपने जीवन के शुरुआती समय में उन्होंने काफी संघर्ष किया। और, आज वह देश के शीर्ष नेताओं में से एक हैं। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र और संविधान का एक बेहतरीन हिस्सा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आजाद ने कहा, आप इस कुर्सी पर बैठने का अवसर पाने वाले बहुत ही चुनिंदा लोगों में से हैं, आप जमीन से उठे हैं और बहुत ही सामान्य पृष्ठभूमि से आए हैं, यह हमारे लोकतंत्र और संविधान के बेहतरीन भाग को दर्शाता है। समूचे विपक्ष की तरफ से नए सभापति का स्वागत करते हुए आजाद ने कहा कि ऊपरी सदन को चलाना एक दोहरी जिम्मेदारी है क्योंकि सदस्यों को उन विधायकों की आशाओं को पूरा करना होता है, जिन्होंने उन्हें चुना है और उन लोगों की आशाओं को भी जिन्होंने विधायकों को चुना है।
उन्होंने कहा, न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष व राज्यसभा के सभापति जैसे लोगों के पास जो पैमाना होता है, वह हमें याद दिलाता है कि वे निष्पक्ष हैं। उन्हें सही और निष्पक्ष होना चाहिए जिससे सदन उचित तरीके से चले। आजाद ने कहा, हमारे सदन की जिम्मेदारी दोहरी है, इस वजह से यह परंपरा बनी रहनी चाहिए कि कोई विधेयक इस सदन से शोरगुल में पारित नहीं हो..आशा है कि परंपरा बनी रहेगी। माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी को गुरुवार को राज्यसभा से विदाई दी गई। येचुरी के भी बेहद आम परिवार से उठकर यहां तक आने का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि यह लोकतंत्र की शक्ति है कि एक व्यक्ति की क्षमताएं उसकी गरीबी या कमजोर पृष्ठभूमि से बधी हुई नहीं हैं।
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