नई दिल्ली। शादी के शाद पत्नी का धर्म परिवर्तन कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बडा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अंतरजातीय विवाह में कानून किसी महिला के धर्म को उसके पति के धर्म के साथ मिलाने के लिए बाध्य नहीं करता है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने यह बात हिन्दू धर्म में शादी करने वाली पारसी महिला को पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के हक की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पांच जजों की पीठ एक कानूनी सवाल वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पूछा गया था कि क्या एक पारसी महिला हिंदू धर्म के व्यक्ति से शादी कर लेती है तो क्या वो अपनी धर्म की पहचान खो देती है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा पीठ में जस्टिस एके सीकरी, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण शामिल थे।
हिन्दू धर्म में शादी करने वाली पारसी महिला को पिता के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने के हक की मांग पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने गुजरात के वालसाड पारसी अंजुमन ट्रस्ट को विचार करने का सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा कि मानवीय आधार पर ट्रस्ट विचार करे। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रस्ट के वकील से कहा कि इस बारे में ट्रस्ट से निर्देश लेकर कोर्ट को अवगत कराएं। इस मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को होगी।
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