नई दिल्ली | भारत और ईरान
मे शनिवार को आतंकवाद और उग्रवाद को रोकने तथा इसे धर्म से जोड़कर न देखने
का संकल्प लिया तथा आतंकवाद के पनाहगाहों पर रोक लगाने पर सहमति जताई।
दोनों देशों ने नौ समझौतों पर हस्ताक्षर कर अपने संबंधों को नई मजबूती दी,
जिसमें रणनीतिक चाबाहार बंदरगाह से संबंधिक कनेक्टिविटी भी शामिल है।
दोनों देशों के बीच संबंधों की प्रगाढ़ता को दर्शाते हुए भारत के दौरे पर
आए ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अलग
से और प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत की और उसके बाद कहा कि ईरान और भारत
के बीच सामरिक सहयोग के निर्माण के लिए ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में व्यापक
संभावनाएं हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अपने अतिथि के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन
में अपनी टिप्पणी में मोदी ने दोनों देशों के बीच सूफी संबंधों और आतंकवाद
से निपटने के लिए दृढ़ निश्चय के बारे में बात की।
मोदी ने कहा,
"भारत और ईरान, दोनों देशों के लोग शांति और सहिष्णुता में विश्वास करते
हैं, जो सूफी दर्शन का मूल्य है। हमारे पारस्परिक लाभों को ध्यान में रखते
हुए, हम दोनों आतंकवाद, उग्रवाद, अवैध नशीले पदार्थों की तस्करी, साइबर
अपराध और अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराधों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
रूहानी
ने आतंकवाद को न केवल पूरे क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक
समस्या बताते हुए कहा, "हमें आतंकवाद की जड़ों से लड़ना चाहिए, जो चरमवाद,
हिंसक विचारों को बढ़ावा देने से बौद्धिक और सांस्कृतिक रूप में पनप रही
हैं, और हम इस लड़ाई में भारत सहित सभी मित्र देशों के साथ सहयोग करने को
तैयार हैं।"
उन्होंने कहा कि भारत और ईरान के बीच संबंध "किसी भी
देश के लिए हानिकारक नहीं है और दोनों देशों और क्षेत्र के बेहतर भविष्य
में योगदान करने के लिए दोनों देशों को अपने संबंधों को मजबूती प्रदान करने
के लिए विशाल अवसर और क्षमताएं मौजूद हैं।"
बातचीत के बाद जारी एक
संयुक्त वक्तव्य में दोनों नेताओं ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदों के
बीच बढ़ती बातचीत का स्वागत किया और आतंकवाद, सुरक्षा और संगठित अपराध,
धन-शोधन, नशीले पदार्थो की तस्करी और साइबर अपराध जैसे मुद्दों पर नियमित
और संस्थागत परामर्श को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।
संयुक्त सचिव
(पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान) दीपक मित्तल के अनुसार, दोनों पक्षों ने
आतंकवाद पर चिंता व्यक्त की और इस बात पर सहमति व्यक्त की कि इस वैश्विक
खतरे को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जा सकता है।
मित्तल ने बातचीत के
बाद मीडिया को इसकी जानकारी देते हुए कहा, "दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय और
अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों पर चर्चा की।"
उन्होंने कहा, "दोनों
पक्षों के बीच इस पर एक राय थी कि आतंकवाद की निंदा करने की जरूरत है और
आतंकवाद के पनाहगाहों का अंत होना चाहिए।"
मोदी ने रूहानी को अपने
नेतृत्व में ईरान में चाबाहार बंदरगाह के 'गोल्डेन गेटवे' का विकास करने के
लिए बधाई दी, जिससे चारों तरफ से विभिन्न देशों की सीमा से घिरे
अफगानिस्तान का मध्य एशियाई देशों से संपर्क बढ़ेगा।
रूहानी ने कहा
कि भारत का अफगानिस्तान, मध्य एशिया और पूर्वी यूरोप से जोड़ने में चाबहार
बंदरगाह, दोनों देशों और पूरे क्षेत्र के बीच ऐतिहासिक संबंधों को और
मजबूती प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा, "दोनों देशों के बीच पारगमन
संबंध इस क्षेत्र के अन्य देशों के साथ बहुपक्षीय और क्षेत्रीय क्षमताएं
पैदा करेंगे और हम त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के लिए चाबाहार के
पारगमन मार्ग को क्षेत्रीय संबंधों के लिए एक रणनीतिक मार्ग बनाने को तैयार
हैं।"
आईएएनएस
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