यह बताते हुए कि 1962 में चीन एक अत्यंत गोपनीय देश था, लिंटनर ने कहा कि
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी में माओ से-तुंग (माओ जेदोंग) की स्थिति 1950 के
दशक में काफी अस्थिर हो गई थी, क्योंकि चीन को औद्योगिक बनाने की उनकी नीति
ग्रेट लीप फॉरवर्ड पॉलिसी त्रासदी में बदल गई थी। लिंटनर ने कहा, ‘‘उस तरह
की स्थिति में किसी विवादित सीमा पर किस तरह का देश युद्ध में कूदेगा?
केवल एक ऐसा देश या देश का नेता जिसे अपनी पार्टी को एकजुट करने की जरुरत
हो और जो दोबारा शक्ति पाने के लिए सरकार और सेना को अपने साथ करना चाहता
हो।’’ ये भी पढ़ें - यहां एक मुस्लिम ने दी थी गायों की रक्षा में जान
भारत ने चीन के साथ युद्ध क्यों किया इसपर लिंटनर ने कहा कि
तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा 1959 में भारत आ गए। सीमा विवाद के
साथ बीजिंग के लिए नई दिल्ली को दुश्मन कहना और सुविधाजनकहो गया था। लिंटनर
ने इसका का एक अन्य कारण यह बताया कि 1950 के दशक में भारत नए स्वतंत्र
देशों की आवाज था, जबकि माओ तीसरी दुनिया का नेता बनना चाहते थे।
--आईएएनएस
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