नई दिल्ली। एग्जिट पोल में कांग्रेस जिस तरह का बुरा प्रदर्शन करती दिख रही है अगर वे सही साबित हुए तो इससे यही नतीजा निकलेगा कि राफेल सौदे, न्यूनतम आय योजना (न्याय), बेरोजगारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अहंकार जैसे उसके मुद्दे मतदाताओं को प्रभावित करने में असफल रहे हैं। इसके साथ ही कांग्रेस की गठबंधनों को करने में देरी या असफलता की तरफ भी एग्जिट पोल इशारा कर रहे हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ऐसा लग रहा है कि भाजपा का राष्ट्रवाद, प्रदर्शन और काम के जरिए राहत पहुंचाने पर जोर कांग्रेस के उस अभियान पर भारी पड़ा जिसका जोर प्रधानमंत्री को निशाना बनाने और आर्थिक मुद्दों पर सवाल उठाने पर था। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार राफेल सौदे में कथित भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और संवैधानिक संस्थाओं पर मोदी सरकार के हमलों को उठाते रहे जबकि प्रधानमंत्री मोदी का फोकस राष्ट्रवाद और मजबूत सरकार पर तो बना रहा लेकिन उनके आक्रमण की धार बार-बार बदली और ताजा नजर आती रही।
राहुल गांधी को ऐसा लगा कि वे मोदी की विश्वसनीयता का क्षरण कर रहे हैं लेकिन एग्जिट पोल से ऐसा लग रहा है कि उनकी यह रणनीति सफल नहीं हुई और जमीनी स्तर पर इसका कोई लाभ नहीं मिला। राफेल मामले को लेकर कांग्रेस के मोदी सरकार के खिलाफ अभियान को उस वक्त आघात पहुंचा जब राहुल ने इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का नाम लेकर गलत उद्धरण दिया और अदालत ने उन्हें माफी मांगने पर बाध्य किया।
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि राफेल मामले में चौकीदार चोर है टिप्पणी को शीर्ष अदालत से गलत तरीके से जोड़ देने पर राहुल गांधी द्वारा मांगी गई माफी ने पार्टी के चुनावी अभियान को नुकसान पहुंचाया। पार्टी पदाधिकारी ने अपना नाम जाहिर नहीं करने की शर्त के साथ कहा कि यह घटना चुनाव के ठीक बीच में हुई और भाजपा ने इसका पूरा लाभ उठाया।
विपक्ष के एक नेता ने भी नाम नहीं जाहिर करने की शर्त के साथ कहा कि राहुल गांधी को लगातार, अंतहीन तरीके से राफेल मामले में मोदी को चोर नहीं बुलाना चाहिए था क्योंकि इस बात को लोगों ने पसंद नहीं किया। कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि उत्तर प्रदेश पार्टी के लिए एक कमजोर कड़ी बना हुआ है। पार्टी राज्य में सपा-बसपा-रालोद के गठबंधन का हिस्सा नहीं बन सकी।
उन्होंने कहा कि पार्टी कुछ कर भी नहीं सकती थी क्योंकि गठबंधन में उसे शामिल नहीं किया गया और उसे अकेले चुनाव लडऩा पड़ा। बिहार में भी कांग्रेस व राजद के बीच गठबंधन के दौरान सीट बंटवारे पर भारी तनातनी देखने को मिली। राहुल ने न्याय योजना पर काफी भरोसा किया जिसके तहत देश की गरीब बीस फीसदी आबादी को हर साल 72 हजार रुपये देने का वादा किया गया। लेकिन, इस योजना से पहले ही मोदी सरकार पीएम-किसान योजना लागू कर चुकी थी जिसके तहत हर गरीब किसान परिवार को हर साल छह हजार रुपया मिलना है।
इसकी दो हजार रुपए की किश्त (हर चार महीने पर 2-2 हजार का भुगतान साल में होना है) इन किसानों के बैंक खातों में चुनावी मौसम में पहुंची भी, सरकार ने पूरी तरह सुनिश्चित किया कि यह इसके लाभार्थियों तक पहुंचे।
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