नई दिल्ली। सरकार ने शनिवार को स्पष्ट किया कि अधिवक्ताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली कानूनी सेवा जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता और अधिवक्ताओं की कंपनियां भी शामिल हैं, उन्हें किसी अदालत में सुनवाई करने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) नहीं देना होगा, लेकिन उनकी सेवाएं लेने वाली कंपनियों को जीएसटी चुकाना होगा। वित्त मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि अधिवक्ताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली कानूनी सेवाओं पर चाहे वह अग्रेषित प्रभार (फॉरवर्ड चार्ज) से जुड़ा हो या रिवर्स चार्ज से संबंधित हो। यह उल्लेख किया जाता है कि जीएसटी युग में कानूनी सेवाओं के कराधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मंत्रालय ने कहा कि आगे स्पष्ट किया जाता है कि कानूनी सेवा को इस तरह से परिभाषित किया गया है कि किसी भी तरह से दी जाने वाली सलाह, परामर्श या कानून की किसी भी शाखा में बतौर सहायता प्रदान की जाने वाली कोई भी सेवा इसके दायरे में आएगी और किसी भी अदालत, ट्रिब्यूनल या प्राधिकरण के समक्ष दी जाने वाली प्रतिनिधित्व सेवाएं भी इसमें शामिल हैं।
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