नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर जो लोग आरक्षित श्रेणी में सरकारी नौकरियां या शैक्षिक संस्थानों में सीटें पा रहे हैं, उन्हें इसे खोना होगा। प्रधान न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ व न्यायमूर्ति एन.वी. रमन की पीठ ने कहा कि फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी हासिल करना या शैक्षिक संस्थान में आरक्षित श्रेणी में दाखिला पा लेने से वह लंबा समय गुजर जाने की वजह से बच नहीं सकते। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने अपना आदेश बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ के फैसले को पलटते हुए दिया है। बंबई उच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि एक व्यक्ति लंबे समय से सेवा में है और बाद में यह सामने आता है कि इस नौकरी को उसने फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर पाया है, तो उसे सेवा को जारी रखने की अनुमति दी जा सकती है।
सर्वोच्च अदालत का यह फैसला महाराष्ट्र सरकार व भारत खाद्य निगम के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक सहित याचिकाओं के समूह पर विचार के बाद आया है।
राहुल गांधी ने कहा-दुनिया में ऐसी शक्ति नहीं है जो हिंदुस्तान के संविधान को बदल सके
भाजपा के गोदाम में देश के सब भ्रष्टाचारी : अखिलेश यादव
नीतीश कुमार ने किया लालू यादव पर हमला, कहा- इतना ज्यादा बाल-बच्चा पैदा नहीं करना चाहिए...
Daily Horoscope