नई दिल्ली। पूर्व केंद्रीय मंत्री एम.एम. पल्लम राजू का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार ने लोगों को डिजिटल लेनदेन और हर चीज के साथ आधार जोडऩे को मजबूर कर डिजिटल क्रांति को ‘गलत दिशा में’ मोड़ दिया है। डिजिटल लेनदेन एक विकल्प और सुविधा होनी चाहिए, मजबूरी नहीं। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे पल्लम राजू ने तर्क दिया कि पिछली कांग्रेस सरकारों में पनपी भारत की इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्रांति की गति अब खो गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर व पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री राजू ने ‘कैशलेस’ या ‘कम से कम नकदी’ की भारतीय अर्थव्यवस्था के मौजूदा सरकार के विचार की आलोचना करते हुए कहा कि डिजिटल लेनदेन एक विकल्प और सुविधा होनी चाहिए, लेकिन लोगों को इसके लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। राजू ने कहा, ‘‘कैशलेस अर्थव्यवस्था को समग्र अर्थव्यवस्था का अभिन्न अंग होना चाहिए। यह जरूरी है कि बड़े लेनदेन हों, लेकिन रोजाना नहीं। इसे एकविकल्प के रूप में होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति डिजिटल भुगतान करना चाहता है, तो उसे रोकना भी उचित नहीं है। लेकिन नकदी लेनदेन सुविधापूर्ण माध्यम है, विशेष रूप से ग्रामीण आबादी के लिए। उनके लिए डिजिटल प्रारूप के बजाय नकदी लेनदेन अधिक सुविधाजनक है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा आप देखें कि साइबर स्पेस में कितनी धोखाधड़ी हो रही है। खाते हैक कर लिए जाते हैं, पैसे को यहां से वहां कर दिया जाता है। ऐसी धोखाधड़ी ग्रामीण और अशिक्षित लोगों के साथ होने की संभावना अधिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों पर कुछ भी थोपने से पहले एक उचित पारिस्थितिकी तंत्र बनाना चाहिए था जो दुर्भाग्यवश नहीं हुआ है।’’
एक पूर्व केंद्रीय मंत्री के रूप में वह सिम कार्ड्स से लेकर बैंक खातों और बीमा कवर सभी को आधार से जोडऩे को किस तरह देखते हैं? आखिरकार संप्रग के कार्यकाल में ही आधार की कल्पना की गई थी, इस पर राजू ने कहा, ‘‘जन कल्याण योजनाओं के लिए आधार की कल्पना की गई थी। इसकी कल्पना सरकार के लाभ को सुव्यवस्थित करने और घाटे/चोरी को कम करने के लिए की गई थी। लेकिन मौजूदा समय में इसे पर्याप्त तैयारी के बिना बड़े राक्षस का रूप दिया जा रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अगर डेटाबेस को सुरक्षित रखना है, जो मुझे नहीं लगता कि वे फिलहाल हैं, इसके लिए अधिक सुरक्षा सुविधाएं शामिल की जानी चाहिए और फिर अगर आप आधार का उपयोग करते हैं तो यह भी ठीक है। लेकिन आधार के साथ सब कुछ जोडऩे की मजबूरी नहीं होनी चाहिए।’’ राजू के अनुसार, ‘‘हमारे देश के नीति निर्माताओं ने हमें संविधान देते वक्त इसकी कल्पना नहीं की थी। हमारे पास हमारी जिंदगी जीने का अधिकार है, लेकिन उस अधिकार पर हमला किया जा रहा है।’’
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