इस मामले में वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही ईडी का कहना है कि
मुखर्जी दंपति ने नौ करोड़ पाउंड की राशि में हेर फेर की और इस रकम को
हवाला के जरिए विदेश भेज दिया। एफआईपीबी की मंजूरी मिलने के बाद आईएनएक्स
मीडिया ने कहा कि कंपनी में 4.620 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
हुआ, लेकिन वास्तव में अगस्त 2007 से मई 2008 के बीच कंपनी में 305.36
करोड़ रुपये का निवेश आया था। ये भी पढ़ें - Beas Tragedy : अब तक सबक नहीं सीख पाया Himachal
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