बेतिया। एक ओर जहां बिहार से लेकर कई राज्यों में पराली (पुआल) जलाने से किसानों के रोकने के लिए सरकार द्वारा कठोर नियम बनाए जा रहे हैं, वहीं बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के कई गांवों की महिलाएं पराली के प्रबंधन के जरिए ना केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि पराली जलाने की समस्या का समाधान भी यहां के किसानों को मिल गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पश्चिम चंपारण जिले के बगहा-2 प्रखंड के कई गांवों में महिलाएं पराली से चटाई और बिठाई (छोटा टेबल, मोढ़ा) जैसी वस्तुएं बनाती हैं। रामपुर गांव की रहने वाली बुजुर्ग महिला सुभावती देवी ने बताया कि पुआल से यहां पहले भी ऐसी वस्तुएं बनाई जाती थीं, लेकिन अब इस काम से कई महिलाएं जुड़ रही हैं।
बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जल-जीवन-हरियाली यात्रा के क्रम में राज्य के सभी क्षेत्रों में पहुंचकर लोगों को प्रदूषण नियंत्रण करने का संदेश दे रहे हैं। इस क्रम में मुख्यमंत्री लोगों से पराली जलाने से होने वाले नुकसान से भी लोगों को अगाह कर रहे हैं।
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