नई दिल्ली।
रंगों के त्योहार होली में पिचकारियां तो छूटेंगी, गुलाल तो उड़ेंगे,
गुबारों के रंगों से सराबोर होने के लिए हम कब से तैयार बैठे हैं, लेकिन
इसी दौरान रंग खेलने से ज्यादा रंग छुड़ाने, त्वचा एवं बालों को हुए नुकसान
को लेकर चिंतित रहते हैं। इसलिए सौंदर्य विशेषज्ञ शहनाज हुसैन प्राकृतिक
रंगों के इस्तेमाल की पैरवी करती हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वह कहती हैं, "इन दिनों रंगों में
माइका, लेड जैसे हानिकारक रासायनिक मिले होते हैं जिससे बाल तथा त्वचा रूखी
एवं बेजान हो जाती है।
बाल झड़ना शुरू हो जाते हैं तथा त्वचा में जलन एवं
खारिश शुरू हो जाती है। होली में उपयोग किए जाने बाले रंगों से त्वचा में
एलर्जी, आंखों में जलन और पेट की अनेक समस्याएं पैदा हो जाती हैं। ऐसे में
सबसे पहले आप यह कोशिश करें कि आप ऑर्गेनिक/हर्बल रंगों से ही होली खेलें
लेकिन इन रंगों की पहचान भी जरूरी है।"
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