त्वचा संबंधी रोग में उपयोग : ये भी पढ़ें - तो ये हैं भारत के सबसे बेहतरीन वाटर पार्क
* कुष्ठ रोग : 10-20 तुलसी के पत्ते के रस को प्रतिदिन सुबह में पीने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
* तुलसी के पत्तों को नींबू के रस में पीसकर, दाद, वातरक्त कुष्ठ आदि पर लेप करने से लाभ होता है।
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सफेद दाग, झाईं : तुलसी के पत्ते का रस, नींबू रस, कंसौदी पत्र तीनों को
बराबर-बराबर लेकर उसे तांबे के बरतन में डालकर चौबीस घंटे के लिए धूप में
रख दें। गाढ़ा हो जाने पर रोगी को लेप करने से दाग तथा अन्य चर्म विकार साफ
होते हैं, इसे चेहरे पर भी लगााया जाता है।
* नाड़ीव्रण : तुलसी के बीजों को पीसकर लेप करने से दाह तथा नाड़ीव्रण का शमन होता है।
* शीतपित्त : शरीर पर तुलसी के रस का लेप करने से शीतपित्त तथा दर्द का शमन होता है।
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शक्तिवृद्वि के लिए : 20 ग्राम तुलसी बीजचूर्ण में 40 ग्राम मिश्री मिलाकर
महीन-महीन पीस लें, इस मिश्रण को 1 ग्राम की मात्रा में शीत ऋतु में कुछ
दिन सेवन करने से वात-कफ रोगों से बचाव होता है। दुर्बलता दूर होती है,
शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
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