शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं का पूजन दिन में
पांच बार करना चाहिए। सुबह 5 से 6 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त में पूजन और आरती
होनी चाहिए। इसके बाद प्रात: 9 से 10 बजे तक दूसरी बार का पूजन। दोपहर में
तीसरी बार पूजन करना चाहिए। इस पूजन के बाद भगवान को शयन करवाना चाहिए।
शाम के समय चार-पांच बजे पुन: पूजन और आरती। रात को 8-9 बजे शयन आरती करनी
चाहिए। जिन घरों में नियमित रूप से पांच बार पूजन किया जाता है, वहां सभी
देवी-देवताओं का वास होता है और ऐसे घरों में धन-धान्य की कोई कमी नहीं
होती है। ये भी पढ़ें - इन मंत्रों का करें जाप, पढ़ाई में मिलेगी शर्तिया सफलता
प्लास्टिक की बोतल में या किसी अपवित्र धातु के
बर्तन में गंगाजल नहीं रखना चाहिए। अपवित्र धातु जैसे एल्युमिनियम और लोहे
से बने बर्तन। गंगाजल तांबे के बर्तन में रखना शुभ रहता है।
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