आज निर्जला एकादशी है, माना जाता है कि ज्येष्ठ महीने की निर्जला एकादशी बड़ी एकादशी होती है। ज्येष्ठ महीने में एकादशी होने का विषेश महत्व है। इस दिन महिलाओं द्वारा बढ़चढ़ कर दान-पुण्य किया जाता है। ज्येष्ठ मास की गर्मी में जहां पानी के बिना कुछ ही समय में मन व्याकुल होने लगता है इसमें संयम पूर्वक इस व्रत को रखने मात्र से मनुष्यों का कल्याण हो जाता है। इस व्रत में जल से भरा घड़ा, पंखा, मौसमी फल आदि का दान बहुत ही पुण्यदायी होता है। अगर आप यह व्रत नहीं कर पा रहे हैं तो जल से भरा कलश, वस्त्र, पंखा, फल का दान करके भी इस व्रत के पुण्य को प्राप्त कर सकते हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
ऐसा माना जाता है कि, पांचों पांडवों में भीमसेन सबसे अधिक खाने वाले थे। इनके लिए सबसे कठिन कार्य था भूखे रहना। इस कारण से यह कोई व्रत नहीं करते थे। लेकिन अन्य सभी भाई एकादशी व्रत रखते थे। एक बार महर्षि व्यास जी पांडवों के पास आए तो भीमसेन अपना प्रश्न लेकर महर्षि के पास पहुंचे।
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