आमतौर भारतीय जनमानस माह में आने वाली दोनों एकादशियों के दिन उपवास रखते हैं। धार्मिक आस्थाओं में एकादशी के उपवास का बहुत महत्त्व है। वैसे तो वर्ष भर आने वाली सभी एकादशी पुण्यदायी मानी जाती हैं लेकिन चैत्र माह कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को पापक्षय या पापमोचनी एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी सभी पापों से मुक्त करने वाली है। यह एकादशी मोक्ष के मार्ग खोलती है। एकादशी के उपवास का पालन दशमी से करना चाहिए। दशमी तिथि पर खाने में चावल, मसूर, मंूग, चने की दाल, जौ और गेहूं को नहीं खाना चाहिए। चुप रहना मनुष्य के लिए बहुत मुश्किलों भरा काम है, यदि संभव हो सके तो दशमी और एकादशी दोनों ही दिनों में मौन व्रत का पालन करना चाहिए।
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