यूं तो सभी 36 करोड देवी-देवता को स्मरण करना संभव नहीं है लेकिन उनमें से
कुछ खास देवों का स्म रण और आराधना करने से न केवल रोजगार संबंधी सभी
परेशानियां दूर होती हैं, बल्कि आरे-तारे-उतारों से जुडी सभी समस्यानएं दूर
होती जाती हैं। कहते हैं कि श्री हनुमानजी की विधि-विधान और श्रद्धा भाव
से उपासना सर्व कल्याणकारी है। मनोवांछित फल प्राप्त करने और दुःख, कष्ट,
बाधा एवं भूत-प्रेत के प्रकोप से बचने के लिए श्री हनुमानजी की आराधना
करनी चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भगवान हनुमानजी की पूजा के लिए लाल चन्दन,
सिन्दूर, शुद्ध घी, चमेली का तेल, धूप, लाल पुष्प, जनेऊ, प्रसाद में बूंदी
आदि का प्रयोग करना चाहिए। सिन्दूर और घी या चमेली का तेल मिलाकर हनुमान
जी का श्रृंगार करना चोला चढ़ाना कहा जाता है, ऐसा करने से श्री हनुमानजी
की कृपा प्राप्त होती है। श्रृंगार के बाद श्री हनुमानजी की आरती और
पञ्चमुखी दीपदान का विधान है। दीपदान में लाल रंग के सूत से बनी बत्ती और
शुद्ध घी का प्रयोग किया जाता है।
श्री हनुमानजी के साथ-साथ
भगवान् शिव के मंदिर में भी दीपदान अवश्य करना चाहिए। श्री हनुमानजी का
ध्यान करते समय प्रभु श्री राम, जनक नंदनी सीता जी, अंगद, जामवंत, नल, नील,
बाली आदि का भी ध्यान करने से जीवन में शुभ फल मिलने लगते हैं।
पुराणों के अनुसार श्री हनुमानजी ने समस्त ग्रहों के राजा सूर्य देवता से
धर्म, अध्यात्म, ज्योतिष और अन्य गूढ़ विद्याएं ग्रहण की थी।
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