कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला सूर्य षष्ठी यानी छठ का चार
दिवसीय पर्व कई मायनों खास है। बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और
नेपाल के तराई क्षेत्र के ग्राम्य अंचलों में गहरी आस्था के साथ मनाया जाने
वाला सूर्योपासना का यह लोकपर्व बीते कुछ सालों में समूचे देश ही नहीं वरन
देश के बाहर भी लोकप्रिय हो चुका है। इस वर्ष इस पर्व का आयोजन 26 अक्टूबर
को होगा।
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ग्रह हैं इसके जिम्मेदार
जन्म कुंडली में स्थित चन्द्रमा, सूर्य, मंगल और बुध ग्रहों का संबंध
आत्मविश्वास एवं आत्मबल से होता है। जिन जातकों में ये चारों ग्रह शुभ
स्थिति में, उच्च अथवा शुभ ग्रहों से दृष्ट होते हैं, उनमें आत्मविश्वास के
साथ-साथ सोच-विचार एवं शीघ्र निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता होती है।
ज्योतिष शास्त्र की मान्यता के अनुसार, चंद्र ग्रह, मन, भावना, विचारधारा
आदि का कारक होने से मन की आंतरिक शक्ति को नियंत्रित करता है।
वहीँ
सूर्य आत्मा, इच्छा शक्ति एवं ऊर्जा का कारक है तो मंगल को शारीरिक एवं
आत्मिक बल का कारक माना गया है। बुध ग्रह तो वैसे ही संकल्प शक्ति और दृढ़
संकल्प उत्पन्न करने में सक्रिय भूमिका निभाता है। बुध के अशुभ होने पर
मनुष्य के प्रयास तिनके की तरह हवा में उड़ जाते हैं। कुंडली में सूर्य,
चंद्र, मंगल या बुध नीच के हों अथवा कुंडली के छठे, आठवें या बारहवें भाव
में बैठे हों तो अपनी अशुभ स्थिति के कारण इन ग्रहों का नकारात्मक और अशुभ
प्रभाव जातक पर अवश्य पड़ता है।
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