-आचार्य ज्ञानप्रकाश राजमिश्र-
धर्मशास्त्र के
निर्देशानुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में
नित्यकर्म से निवृत्त होकर अभ्यंग स्नान अथवा तीर्थ, नदी, सरोवर में स्नान
करके शुद्ध पवित्र हों। स्नान के पश्चात् अपने-अपने नगर के स्पष्ट सूर्योदय
के समय नववर्ष के शुभारंभ के अवसर पर सूर्य की प्रथम रश्मि के दर्शन के
साथ ही शंख ध्वनि आदि वाद्यों के साथ नववर्ष का उद्घोष करें। यह कार्य
तीर्थ, नदी, सरोवर के तट पर अथवा धार्मिक स्थल पर एकत्रित होकर आयोजित
करें।
नववर्ष के उद्घोष के पश्चात् समस्त उपस्थित आस्थावान् लोग पूर्व दिशा में
मुख करके नीचे लिखे मंत्र से सूर्य को जल-पुष्प सहित अर्ध्य प्रदान करें।
आकृष्णेन रजसा व्वर्तमानो निवेशयन्नमृतम्मर्त्यञ्च ।
हिरण्ययेन सविता रधेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ।।
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