मंगलागौरी शक्तिपीठ के पुजारी लखन बाबा उर्फ लाल बाबा
कहते हैं कि इस पर्वत को भस्मकूट पर्वत कहते हैं। इस शक्तिपीठ को असम के
कामरूप स्थित मां कमाख्या देवी शक्तिपीठ के समान माना जाता है। ये भी पढ़ें - नौकरी पाने के अचूक और सरल उपाय
कालिका
पुराण के अनुसार, गया में सती का स्तन मंडल भस्मकूट पर्वत के ऊपर गिरकर दो
पत्थर बन गए थे। इसी प्रस्तरमयी स्तन मंडल में मंगलागौरी मां नित्य निवास
करती हैं जो मनुष्य शिला का स्पर्श करते हैं, वे अमरत्व को प्राप्त कर
ब्रह्मलोक में निवास करते हैं।
इस शक्तिपीठ की विशेषता यह है कि मनुष्य अपने जीवन काल में ही अपना श्राद्ध कर्म यहां संपादित कर सकता है।
मान्यता
है कि इस मंदिर में आकर जो भी सच्चे मन से मां की पूजा व अर्चना करते हैं,
मां उस भक्त पर खुश होकर उसकी मनोकामना को पूर्ण करती है। ऐसी मान्यता है
कि यहां पूजा करने वाले किसी भी भक्त को मां मंगला खाली हाथ नहीं भेजतीं।
इस मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। यहां गर्भगृह में
ऐसे तो काफी अंधेरा रहता है, परंतु यहां वर्षों से एक दीप प्रज्वलित हो रहा
है। कहा जाता है कि यह दीपक कभी बुझता नहीं है।
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