स्कंद और मत्स्य पुराण के अनुसार कार्तिक स्नान से जीवन में
सुख, संतान, आरोग्य और अन्य लाभों की प्राप्ति होती है। इस महीने कुछ काम बिल्कुल नहीं करने चाहिए। उन कामों को करने से सतता हाथ से छीन सकती है और
जातक को नुकसान उठाना पडता है-
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कार्तिक मास लगते ही पूर्णिमा से लेकर कार्तिक उतरते की पूर्णिमा
तक प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व ही पवित्र नदियों गंगा, यमुना, गोदावरी आदि
में स्नान करके तुलसी, पीपल, बरगद, आंवला आदि वृक्षों पर जल अर्पित करने की
परंपरा है। इसके अलावा पांच ईंट या पांच पत्थर के टुकड़ों को रखकर पथवारी
बनाते हैं, जिसकी जल, मौली, रोली, चंदन, अक्षत, फल,प्रसाद, धूप, दीपक आदि
से पूजा की जाती है। कार्तिक मास में प्रतिदिन व्रत रखकर रात्रि में
तारों को अर्घ्य देकर भोजन किया जाता है। अंतिम दिन सुराही, भोजन,वस्त्र,
धन आदि का दान बड़े-बुजुर्गों को करके उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
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