यद्धपि देवी माँ का
क्षेत्र दक्षिण दिशा माना गया है इसलिए यह ध्यान रहे कि पूजा करते वक्त
आराधक का मुख दक्षिण या पूर्व में ही रहे। शक्ति और समृद्धि का प्रतीक मानी
जाने वाली पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करने से हमारी प्रज्ञा जागृत
होती है और दक्षिण दिशा की ओर मुख करने से आराधक को मानसिक शांति अनुभव
होती है।
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अखंड दीप और पूजन सामग्री का रखें खास ध्यान-
अखंड दीप को पूजा स्थल के आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व में रखना शुभ होता है क्योंकि यह दिशा अग्नितत्व का प्रतिनिधित्व करती है।
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