नवरात्र के पावन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की
पूजा बड़े ही प्रेम और भक्ति भाव से की जाती है। हर जगह उमंग और खुशियों का
संचार रहता है। माता सम्पूर्ण जगत को शक्ति, स्फूर्ति और विनम्रता प्रदान
करती हैं। इन नौ दिनों में अखंड जोत और दीपक का खास महत्व् है। यदि अखंड
दीपक को सही दिशा में रख दिया जाए तो जातक के बुरे ग्रह भी अच्छों में
बदलने लगते हैं।
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सर्वप्रथम तो पूजन कक्ष साफ़-सुथरा हो, उसकी दीवारें
हल्के पीले, गुलाबी ,हरे जैसे आध्यात्मिक रंग की हो तो अच्छा है क्योंकि
ये रंग सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाते है ।काले ,नीले और भूरे जैसे
तामसिक रंगों का प्रयोग पूजा कक्ष की दीवारों पर नहीं होना चाहिए।
वास्तुविज्ञान के अनुसार ईशान कोण यानि कि उत्तर-पूर्व दिशा को पूजा -पाठ
के लिए श्रेष्ठ माना गया है। इसलिए नवरात्र काल में माता की प्रतिमा या कलश
की स्थापना इसी दिशा में करनी चाहिए।
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