शकुन शास्त्र में होलिका दहन के समय वायु प्रवाह की
दिशा से जन जीवन पर पडने वाले प्रभावों का फलित निर्णय किया जाता है तथा
आगामी वर्ष कैसा रहेगा, इसका निष्कर्ष भी निकाला जाता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इस साल 1
मार्च को सुबह 8 बजकर 58 मिनट से पूर्णिमा तिथि लग रही है। इसलिए शाम 7.30
मिनट तक भद्रा के खत्म होने पर होलिका दहन किया जा सकेगा। होलिका दहन के
लिए घर में और बाहर होलिका की पूजा की जाती है। पूजा में चावल, फूल, साबूत
मूंग, साबूत हल्दी, नारियल और गोबर की गुलरियां शामिल की जाती हैं। पूजन की
सभी सामग्रियां अर्पित करने के बाद होली की परिक्रमा करते हुए इसमें पानी
चढ़ाएं।
दिशा के अनुसार होली की लौ (झल) का फलाफल शकुन शास्त्र में इस प्रकार बताया गया है।
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