नवरात्र को विश्व की आदि शक्ति दुर्गा की पूजा का पावन
पर्व माना गया है। शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलते हैं
और शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की प्रतिमाएं बनाकर प्रतिपदा से नवमी तक उनकी
बड़ी निष्ठा से पूजा की जाती है व व्रत रखा जाता है तथा दशमी के दिन इन
प्रतिमाओं को गंगा या अन्य पवित्र नदियों में विसर्जित कर दिया जाता है।
नवरात्र नवशक्तियों से युक्त हैं और हर शक्ति का अपना-अपना अलग महत्व है।
इन दिनों में दुर्गा सप्तशती में कुछ ऐसे सिद्ध मंत्र हैं, जिनके द्वारा हम
अपनी मनोकामना की पूर्ति कर सकते हैं।
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कैसे करें जाप--
नवरात्रि के प्रतिपदा के दिन घटस्थापना के बाद संकल्प लेकर प्रातः
स्नान करके दुर्गा की मूर्ति या चित्र की पंचोपचार या दक्षोपचार या
षोड्षोपचार से गंध, पुष्प, धूप दीपक नैवेद्य निवेदित कर पूजा करें। मुख
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। शुद्ध-पवित्र आसन ग्रहण कर रुद्राक्ष,
तुलसी या चंदन की माला से मंत्र का जाप एक माला से पाँच माला तक पूर्ण कर
अपना मनोरथ कहें। पूरी नवरात्रि जाप करने से मनोवांच्छित कामना अवश्य पूरी
होती है। उपरोक्त सारे मंत्र विधिनुसार करने पर मनुष्यर अपने पापों और
कष्टोंम को दूर करके माता के आशीर्वाद का पात्र बन जाता है। नवरात्रि में
संयमपूर्वक की गई प्रार्थना और भक्ति माता स्वीकार करती है और साथ ही अपने
भक्तों के कष्टों का निवारण करते हुए उन्हें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग
दिखाती है।
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