धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिष के अनुसार किसी भी शुभ या
मांगलिक काम को करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। ऐसे में अगर नासिका
स्वर पर ध्यान दें तो सुखद परिणाम आ सकते हैं। ज्योतिष के अनुसार हमारे
शरीर में दो स्वर होते हैं, जिन्हें चंद्र स्वर व सूर्य स्वर कहा जाता है।
नाक के दाहिने छिद्र से चलने वाले स्वर को सूर्य स्वर कहते हैं। यह साक्षात
शिव का प्रतीक है। जबकि बाएं छिद्र से चलने वाले स्वर को चंद्र स्वर कहते
हैं। बाएं स्वर से सांस लेने को इडा और दाहिने से लेने पर उसे पिंगला कहते
हैं और दोनों छिद्रों से चलने वाले श्वास को सुषुम्ना स्वर कहते हैं।
स्वारोदय यानी स्वर के उदयादि से स्वर पहचान कर शुभाशुभ जानकर कार्य
प्रारंभ करना, निश्चित सफलता का सूचक है। यात्रा, राजकीय कार्य, सेवा
चाकरी, परीक्षा, साक्षात्कार व विवाह आदि मांगलिक कार्यों में इसकी महत्ता
सर्वोपरि है।
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दिनों के अनुसार चलते हैं स्वर
रविवार को दिन में
सूर्य और रात में चंद्र स्वर, सोमवार को दिन में चंद्र और रात में सूर्य
स्वर, मंगल को दिन में सूर्य और रात को चंद्र स्वर, बुध को दिन में चंद्र
और रात को सूर्य स्वर, गुरुवार को दिन में सूर्य और रात को चंद्र स्वर,
शुक्र को दिन में चंद्र और रात को सूर्य स्वर और शनिवार को दिन में चंद्र
और रात को सूर्य स्वर प्रवाहित होते हैं।
मान लीजिए आपको कोई शुभ कार्य गुरुवार को करना है, तो उस दिन जब सूर्य स्वर
चले तो वह वेला उस कार्य की सफलता के लिए शुभ होती है।
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