कान्हा की बांसुरी केवल गोपियों को ही नहीं खिंचती थी बल्कि
मां लक्ष्मी और कुबेर को भी अपने पास बुलाने को मजबूर कर देती थी।
जन्माष्टमी के दिन अगर कोई जातक कुछ खास बांसुरी की पूजा करें या फिर
बासुंरी को अपने पास रखे तो बुरी आत्माएं दूर हो जाती हैं और जब इसे बजाया
जाता है तो ऐसी मान्यता है कि घरों में शुभ चुम्बकीय प्रवाह का प्रवेश होता
है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
वैसे तो कई तरह की बांसुरियां होती है जो अलग
अलग असर दिखाती है लेकिन बांस से बनी बांसुरी और चांदी की बांसुरी विशेष
असर दिखाने वाली और कमाल की होती है। कान्हा के जन्म के व्रत खाेलने से
पहले इनकी पूजा से घर खुशियों से भरने लगता है।
बांस के पौधे
से बनी होने के कारण लकड़ी की बांसुरी शीघ्र उन्नतिदायक प्रभाव देती है
अत: जिन व्यक्तियों को जीवन में पर्याप्त सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही हो,
अथवा शिक्षा, व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो, तो उसे अपने बैडरूम के
दरवाजे पर दो बांसुरियों को लगाना चाहिए। जन्माष्टमी के दिन इनकी पूजा
खास लाभ के द्वार खोलती है।
यदि घर में बहुत ही अधिक वास्तु दोष है, या दो से अधिक
दरवाजे एक सीध में है, तो घर के मुख्यद्वार के ऊपर दो बांसुरी लगाने से लाभ
मिलता है तथा वास्तु दोष धीरे धीरे समाप्त होने लगता है।
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